तत्सम तथा उनके तद्भव


हिंदी भाषा मे अनेक शब्द संस्कृत से आए हैं . किंतु वे शब्द लोक व्यवहार मे प्रयुक्त हुए तो उनका मूल स्वरूप बदल गया . इन बदले हुए लोक प्रचलित शब्दों को ही तद्भव कहा जाता है .यहां कुछ शब्द तत्सम तथा तद्भव दोनो स्वरूपों मे दिये जा रहे हैं ताकि उनमे हुए बदलाव को भाषा विज्ञान के आधार पर समझा जा सके- 

क्रम
संख्या
तत्सम
तद्भव
1
श्वसुरालय
ससुराल
2
शौर्यमान
सूरमा
3
मूर्त्त
मूरत
4
अन्यमनस्क
अनमना
5
शृंगार
सिंगार
6
चंद्र
चांद
7
सूर्य
सूरज
 8
गृह
घर
9
पुस्तक
पोथी
10
पुराण
पुराना
11
उर्ण
ऊन
12
कर्म
काम
13
गुल
गुड़
14
षष्ठि
साठ
15
विंश
बीस
16
सप्ताह
हफ्ता
17
वर्षा
बरखा, बारिष
18
स्थाली
थाली
19
चूर्ण
चूरन
20
पूर्ण
पूरन
21
कार्य
कारज
22
माक्षिका
मक्खी
23
द्राक्षा
दाख
24
लेंटर्न
लालटेन
25
प्लास्टर
पलस्तर
26
लेंटल
लिंटर
27
गैस लाइट
घासलेट
28
केनिस्टर
कनस्तर
29
ग्लास
गिलास
30
वेट
बाट
31
फीट
फीता
32
आद्रक
अदरख
33
लशुन
लहसन
34
शुंठी
सोंठ
35
मरिच
मिर्च
36
हिंगु
हींग
37
लवंग
लौंग
38
गोधूम
गेहूं
39
यवानी
अजवायन
40
आम्र
आम
41
लकुच
लीची
42
लकुट
लोकाट
43
कदली
केला
44
राजमाष
राजमा
45
चणक
चना
46
मुद्ग
मूंग
47
पिप्पली
पीपल
48
एला
इलायची
49
वासक
बांसा
50
भृंगराज
भांगरा
51
यव
जौ
52
गोजिव्हा
गाजवां
53
कंटकारी
कटेरी
54
कर्णिकार
कनेर
55
भर्त
भरत (लोहा)
56
कांस्य
कांसा
57
ताम्र
तांबा
58
लौह , अयस
लोहा
59
वार्ता
बात
60
स्वर्ण
सोना
61
खल्व
खरल
62
मकर
मगर
63
मत्स्य
मच्छ
84
मालिनी
मालन
65
तमसा
टोंस
66
विपाशा
ब्यास
67
चर्मण्वती
चंबल
68
वैतरणी
महानदी
69
निंब
नीम
70
कदंब
कदम
71
पंक्ति
पंगत
72
आपदा
आफत
73
कृष्ण
किसन
74
विष्णु
बिसन
75
वृष्णि
बिश्नोई
76
गुर्जर
गूजर
77
पूर्णिमा
पूनम
78
अमावस्या
अमावस
79
शृंग
सींग
80
आंत्र
आंत
81
कोष्ठी
कोठी
82
गोष्ठ
गोठ
83
कौशिकी
कोसी (नदी)
84
अश्वयुज
असौज
85
आग्रहायण
अगहन
86
फाल्गुन
फागुन
87
चैत्र
चैत
88
श्रावण
सावन
89
भाद्रपद
भादों
90
ज्येष्ठ
जेठ
91
पौष
पूस
92
कुंभकार
कुम्हार
93
चर्मकार
चमार
94
लौहकार
लुहार
95
स्वर्णकार
सुनार
96
नापित
नाई
97
लांगूल
लंगूर
98
नाट्य
नाटक
99
कपर्दिका
कौड़ी
100
घोटक
घोड़ा
101
हस्ति
हाथी
102
उष्ट्र
ऊंट
103
हरिण
हिरन
104
वानर
बंदर
105
चर्वण
चबाना
106
भक्त
भात
107
यूष
जूस
108
क्वाथ
काढ़ा
109
रोटिका
रोटी
110
मृत्तिका
मिट्टी 
111
गोवर्धन
गोधन
112
दीपावली
दीवाली
113
होलिका
होली






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डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.
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