व्यंग्य- चुनाव से पहले नेता जी का इंटरव्यू


 चुनाव प्रचार जोरों पर था। नेताजी से बातचीत के सिलसिले में हमारी कैमरा टीम उनके निवास पर पहुंची। कोठी के पीछे चालीस भैंसें बंधीं थीं। कोई चारा खा रही थी, कोई पगुरा रही थीं। कोई पूंछ फटकारती, लघु व दीर्घ शंकाओं का थोक के भाव निराकरण कर रही थीं। बगल मे एक और शेड भी था जहां बंधी हुई देसी नस्ल की दस गाएं चारा खाने मे तल्लीन थीं।

     नेताजी भैंस दुहकर बाहर आ रहे थे। घुटनों तक लंबे जाँघिये और गाढे़ की जेब वाली बंडी उनकी विराट देह पर सुशोभित थी। नेता जी के इस अद्भुत रूप का प्रसारण उचित न समझ,  मैंने कैमरामैन को रोका।

नेताजी ने फौरन टोका- ‘चलने दीजिये कैमरा। तब न पब्लिक हमको पहचानेगा।’

कैमरा चालू हो गया।

-’नेताजी, ये लाइव टेलीकास्ट चल रहा है । आपको इस समय लाखों लोग देख रहे हैं। उनसे कुछ कहियेगा ?

दूध से भरी  बाल्टी तख़्त पर रखते हुए नेता जी बोले-

-‘हां अपना भोटर से हमरा खालिस एक  बिनती होगा कि भंइसिया पर मुहर लगाना याद रक्खें।’

कहते हुए नेता जी कैमरे के आगे हाथ जोड़कर नतमस्तक हो गए ।

-अगर आपका गठबंधन बहुमत में आता है तो आप कौन-सा विभाग लेना चाहेंगे ?

-’देखिये कोलीसन गभरमेंट का जुग है। सभी पाटी मिल-बैठ कर फ़ैसला करेगा। हमको पुछिये तो होम मिनिस्टरी बहुत पसंद है।

-आख़िर क्यों ?

-‘अब देखिये न’ -नेताजी व्यथित हो गये। ‘हमरा सगरा  आदमी ई ससुर उठा-उठा के जेल में ठूंस दिया। डकैती, हत्या, अपहरण, बलत्कार.... जाने कौन-कौन इलजाम लगाया है। सोचिये जदी सही आदमी सज़ा काटेगा तो डेमोकरेसी कहां रहा ? यही सब ठीक-ठाक करने के लिए हमें होम-मिनिस्टरी लेना होगा।’

-नेता जी, पिछले कुछ बरसों से आपका नाम करोड़ों के घोटाले से जोड़ा जा रहा है। आप क्या कहते हैं ?

इस सवाल पर नेताजी कुछ विचलित हुए। छप्पर तले रखा हरे चारे का गट्ठर खोला और भैंसों को परोसते हुए बोले-

सब झूट ! एकदम सफ़ेद झूट। पिछला पांच बरस से ई ससुर हमारा इमेज टारनिस किये रहे । जरा पावर में आने दीजिये। तब जानैगा सब लोग कि हम बेगुनाह हूं।’ नेताजी भावुक हो गये।

-आप पर आरोप है कि आप घोटाले की जांच को प्रभावित करते हैं। इस पर नेताजी कड़क कर बोले-
-‘सरासर झूट। सब अपोजीसन का साज़िस है। जांच चल रहा है। फ़ैसला आने दीजिये । हम बेदाग़ बरी हो जाऊंगा। हमको अपना कोट-कचहरी पर पक्का भरोसा  है।’

नेता जी, आपके चुनाव क्षेत्र में एक प्राइमरी स्कूल को तबेले में बदल दिया गया। आप कुछ नहीं बोले।

इस पर नेता जी उदास हो गये, बोले-‘पराइमरी स्कूल ही तो था। कोई डिगरी कालिज तो नहीं था ! चार पांच लरका लरकी दिन भर दाल भात खाता रहा । बरतन मांजता रहा। बहिन जी धूप मे बैठ कर स्वीटर बुनता रहा । किसका पढ़ाई ? किसका लिखाई? खेल के फील्डवा मे हेड मास्टर जी की गइया, भंइसिया दिन भर घास चरता  रहा।

 हम इस्कूल का उद्धार ही तो किया हूं। अब वहां यही कोई  दो सौ भैंस हैं। रोजगार  देखिये कितना मिला है ? पचास साठ  मां-बहिन दूध दुहता है। उपले-पाथ कर इसकुलिया की लंबी-चौड़ी खाली दीवालों पर थाप देता है। इसकूल का मैदान पर गोबर जमा होकर टीला जैसा बन गया है। भैंस जास्ती होगा तो दूध और गोबर भी जास्ती होगा। बाहरी मुल्क से गोबर इंपोट नहीं करना होगा। ठलुआ लोग दिन भर चौपालन पर बैठ कर पत्ती खेलता है । अब ऊ चारा लाएगा। इस्कूल के बंबे पर गैयन, भंइसियन का पानी पिलाएगा । उन्हे नहलाएगा ।  लोग कुत्ता छोड़ कर भैंस पालना  सीखेगा। पेवर दूध घी मिलेगा, सत्तू के लिए मट्ठा कम नही पड़ेगा । फायदा ही फायदा तो हुआ! नुस्कान तो नही न हुआ ?  


हमने अगला सवाल पूछा- लोग आपकी  चरवाहा यूनीवर्सिटी की  बहुत बात कर रहे  हैं आजकल । आखिर ये क्या है ?

नेता जी के फूले हुए गालों पर मुस्कराहट  दौड़ गई। तख्त पर बैठते हुए बोले- चरबाहा जूनीभर्सिटी का बिचार इस मुलुक के लिए सोच समझ कर बनाया हूं। का मिलेगा डिगरी का कागज लेकर ? कहां धरी है नौकरी ? अरे टेकनीकल चीज सीखो ! भैंस कित्ती परकार का होता है ? अच्छी दुधारू गैया का थन कैसा होता है? अच्छा बैल का कान कितना ऐंठा रहता है ? कौन सा बिमारी मे कौन सा जरी बूटी जनावर को दिया जाता है ? बरसात मे जनावर का जब खुर पक जाता है तो उसको खुरपका कहता है हमरे इलाके मे। वो हुइ जाय तो कउन सा बूटी का निचोर के खुर मे डालना है- ई सब बताया जाए लरकन का । पतला गोबर कर रहा तो क्यूं कर रहा ? भूसा मे हरा चारा मिलैबे कि नाहीं – बियाहने पर गुड़, मेथी, काली जीरी ढोरन का क्यूं देते हैं – ढोर गरमी खा जाता है तो कौन सी घास खिलावें ? ठंढी पकर  जाए तो इंदराइन, कंचन पीस के पिलावें।  ई सब जनकारी दो बच्चन का ! दूध अलग पियें। सेहत ठीक रहेगा। दिमाग भी चलेगा। हांत पैर खुला रहेगा- सो अलग ।

फिर जरा रुक कर बोले-


ई सब कुछ जदी पढ़ाया जाएगा तो काहे नही बेरोजगारी घटेगा ? कोई भूंका पियासा नही सोएगा। यही सब था हमरे चरबाहा जूनीभर्सिटी मे। ई ससुर अपोजीसन सब अच्छे आइडियन का कमेडी बना देता है ।

मतलब कि सारे मैनेजमेंट, सारे टेक्नीकल कॉलेज बंद करके वहां तबेले खोल दें? यही कहना चाहते हैं आप ? – हमने बगैर किसी लाग लपेट के सीधा सवाल किया।

नेता जी सकपकाए, पर जल्दी ही संभल कर बोले- हम ई सब नही कहा हूं। परेस वाला अपने से कहता है । अरे मसीन का जनकारी तो जरूरी रहेगा तभी न काम आगे चलेगा!

नेताजी, हम आपके चुनाव-क्षेत्र से आ रहे हैं। हर तबके से बातचीत हुई। मतदाता खून खराबे  की आशंका से डरा हुआ है। विकास के नाम पर पिछले दस-पन्द्रह साल से कुछ नहीं हुआ। सड़कों पर दो-तीन फुट गहरे गड्ढे हमने खुद देखे हैं। लोग पूछ रहे हैं - आपने इलाक़े के लिए क्या किया ?

नेताजी बोले- ‘हम जानता हूं, आप मीडियावाला हमरे इलाक़े की सड़कों पर गढा क्यूं खोज रहा है- नेताजी ने पलटकर वार किया- ‘अरे उन्ही सड़कों से हम इस्कूटर पर बिठाल के इस बुधिया को लाया हूं.....


 एक भैंस की पीठ पर हाथ फिराते हुए नेता जी बोले - ‘सोचिये, सड़क इतना खराब रहता तो हम और बुधिया आज कैमरा के सामने होता ? कल ही तो सारा इलाके़ का  सड़क का मरम्मत कंपलीट हुआ है। ई सब विरोधी पाटी कराता है। नेसनल परापल्टी को भी नुस्कान पहुंचा रहा ससुर...’

हमने कहा- अगर आप प्रधान मंत्री बन जाते हैं तो पहला काम क्या करेंगे?

हमारे इस सवाल पर पहले तो नेता जी खामोश हो गए, फिर ठहर कर बोले- चरवाहा जूनीभर्सिटी बनाऊंगा हम सबसे पहिले। रोजगार का किच किच खतम। अस्पताल का चक्कर खतम। इसकूल इम्तिहान का टेनसन खतम। गैस किरासन का लफड़ा खतम । रोजगार के लिए अपना घरबार छोड़ने की कौनो जरूरत नाहीं। बस आराम से डंड पेलो और दूध पिओ। सरीर तंदरुस्त मतबल देस तंदरुस्त । 

पर इस माडर्न जमाने मे ऐसी बैकवार्ड बातें करने से कौन वोट देगा आपको? – हमने अपने मन की शंका बताई।

    नेता जी के गोल मटोल चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास उभर आया।  कुछ रूक कर मुस्कराते हुए  बोले

- आसिरबाद की ताकत आप क्या जानो मीडिया बाबू?  अरे जब तक बुधिया माई का हांत हमरे सिर पर  रहेगा, जब तक बिंध बासिनी माई का आसिरबाद हमरे ऊपर बना है-  कोई माई का लाल हमको हराने नहीं सकेगा।’

कह कर नेताजी फिर तबेले में घुस गये।

(समाप्त)


Share on Google Plus

डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें