व्‍यंग्‍य छोटी सी खबर

“आप की आवाज़” के दफ्तर मे घुसते हुए रिपोर्टर बड़ा खुश था.  थैले से रिपोर्ट निकाल कर बॉस की तरफ बढ़ाते हुए बोला  – सर, आप भी क्या याद करेंगे ? ऐसी खबर लाया हूं कि मीडिया जगत मे चारों तरफ “आप की आवाज़” का डंका बजने लगेगा.

            रिपोर्ट पढ़ने के बाद बॉस ने नाक भौं सिकोड़ी । फिर रिपोर्ट एक तरफ रख,  निराशा भरी  निगाहों से रिपोर्टर को घूरा दिन भर घूमने के बाद इतनी छोटी सी खबर लेकर लौटे । ये तो बड़ी मामूली बात है । इसमे पन्‍ने रंगने की क्‍या जरुरत थी ?  

           नौजवान संवाददाता कॉलेज से डिग्री लेकर हाल ही मे निकला था. उसने पढ़ाई के दौरान जो पढ़ा था उसके हिसाब से यह खबर छोटी सी होते हुए भी बहुत बड़ी थी.  वह बॉस  से सहमत नहीं था ।

             रिपोर्टर रोमांचित था – सर, मेरे देखते देखते एक पूरी बस्‍ती सड़क पर आ गयी । दो तीन बुजुर्ग अफरा तफरी में जमीन पर ऐसे गिरे कि फिर उठ न सके । किसी ने घासलेट डालकर अपने ऊपर आग लगा ली । मैंने बेकसूर लोगों को लपटों मे जलते, छटपटाते और फिर हार कर गिर जाते हुए अपनी आंखों से देखा सर ! अभी थोड़ी देर पहले ! मैंने उन हालातों को फोकस पर लाने की कोशिश की थी जिनमें एक बेकसूर, ईमानदार और लुटे-पिटे नागरिक को फंसा कर खुदकुशी के लिए मजबूर कर दिया जाता है । ये रिपोर्ट पढ़ कर आपको ऐसा नहीं लगा कि हमारी राजनीतिक व्‍यवस्‍था में कहीं न कहीं कोई भारी खोट मौजूद है ?  

                 बॉस  ने रिपोर्टर को बैठने का इशारा किया और बोले इस शहर में खबरों की क्‍या कमी है ? डांस बारों को ही ले लो । क्‍या तुक था डांस बार बंद कराने का ?  इतनी सारी बार बालाएं अब क्या घास छीलेंगी  ? शहर भर के दौलत बाज डांस प्रेमी अब नोटों की गड्डियां किन पर लुटाएंगे ? 

         उस सिपाही की मर्दानगी पर भी रिपोर्ट बन सकती थी जिसने ड्यूटी के दौरान शराब पीकर एक स्‍कूली छात्रा के साथ बलात्‍कार किया । तुम्‍हें ऐसे संगठनों की स्‍थापना के लिए प्रेरणा देनी थी- जो ऐसे हीमैनों को शाल ओढ़ा कर, सर्टिफिकेट, तथा कैश अवार्ड  देकर सम्‍मानित करें ।

           ऐसी हीरोइनों के बारे में भी लिखा जा सकता था जिनके विचार समाज की मर्यादाओं से भी ऊंचे हो गए हैं । जो यह मानती हैं कि आगे बढ़ना है तो चार पांच रेप सीन देने मे कोई बुराई नहीं है । जो कपड़ों को शरीर पर बोझ समझती हैं और उन्हें उतार कर ही आगे बढ़ने में गहरी आस्था रखती हैं । 

              उन नेताओं की तारीफ में भी लिख सकते थे, जो पब्लिक को हसीन सपने दिखाने मे माहिर हैं और घोटालों के ऐसे कीर्तिमान बनाने में तल्‍लीन रहते हैं,  जिन्‍हें अगले सौ बरसों तक भी कोई तोड़ेगा तो क्या खाकर, हिलाने की भी नहीं सोच  सकता ।

          ऐसे ही बहुत सारे मुद्दे हैं  जिन पर लिख कर तुम रातों रात मीडिया की दुनियां के स्टार बन सकते हो । अच्छे अच्छे चैनल ध्यान भटकाने की तुम्हारी इस प्रतिभा को फौरन पहचान लेंगे और मीडिया की दुनिया के तुम रातों रात स्टार बन जाओगे ।
मगर जनाब ! जिस तरह की खबर तुम लाए हो , उससे तुम्हे शहरी नक्सल घोषित कर दिया जाएगा । तुम्हारे घर से आपत्तिजनक, देश विरोधी साहित्य भी बरामद हो जाएगा । तुम्हारी कहीं सुनवाई भी नहीं होगी। अनंतकाल तक जेल मे बैठ कर चक्की पीसोगे बेटा। बोलो मंजूर है ?  ------

       नौजवान रिपोर्टर खामोश हो गया । उसके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आए. लगता था कि वह फैसला नहीं कर पा रहा है कि किधर जाए ?

बॉस ने उसे सामने की कुरसी पर बैठने का इशारा किया. फिर पानी का गिलास उसके सामने रखते हुए बोले मेरी मानो, झुग्‍गी झोपड़ियों, गंदे नालों में रेंगने वाले इंसान की शक्‍ल सूरत से मिलते जुलते कीड़ों के बारे में लिखना बंद करो । 

             उसकी जगह शानदार एअर कंडीशंड न्यूज़ चैनलों मे बैठ कर डिबेट कराओ, कोरोना मंत्र  का जाप करो ।  फिल्मों मे किस हीरोइन की कमर मे लचक आई, किसका किससे अफेयर बना? किससे टूटा, मंगल पर हम कब से रहना शुरू कर देंगे, किस अरबपति का अमीरों की दुनिया मे आज की तारीख मे कौन सा नम्बर है ? फलां नेताजी ज्योतिष के अनुसार कितने सौ साल तक इस देश का बैंड बजाने वाले हैं – इन टॉपिक्स पर लिखो तो सुखी रहोगे ।  तुम्हे प्राइम लोकेशन पर फ्लैट मिलेगा, और पैसा पानी की तरह बरसेगा. आए दिन फॉरेन टूर ! आए दिन फाइव स्टार होटलों मे प्रेस ब्रीफिंग व लंच डिनर के इनवीटेशन ! शोहरत  शायद कम मिले क्योंकि पब्लिक की परेशानियां कुछ ज़्यादा ही बढ़  गई हैं. अब तुम्हारे सब्ज बाग उन्हें ज्यादा देर तक लुभा न सकें ! मगर शोहरत क्या चाटनी है ?  नेताओं से सीखो- लाख गालियां खा रहे हैं। पर कानों पर जूं तक नहीं रेंगती ! कछुवे या गैंडे की खाल मे तो एक बारगी सुराख हो भी जाए, इन महान प्राणियों की खाल मे बरमे से भी सुराख होना मुश्किल है ।

        बातें चल ही रही थीं कि एक देश प्रेमी फिल्‍म प्रोड्यूसर भीतर आया और बोला क्‍या एडीटर जी !  बार गर्ल्‍स के साथ कितना इंजस्टिस हो रहा है  आपका अखबार अब तक खामोश क्यों है ?  मैं तो अपनी  सारी कमाई बार बालाओं को गिफ्ट कर रहा हूं ।  सो दैट उन्‍हें कोई प्रॉब्लम न हो । जाने कैसे कैसे नैरो  माइंडेड लोग आ जाते हैं पावर में ? शिट !

          तभी बॉस के मोबाइल  की घंटी बज उठी । हां एडीटर साहब, एक दम ताजा खबर है । अभी अपने बिल्‍डर सर को एअरपोर्ट पर कुछ बेवकूफ  ऑफिशियल्स ने पकड़ा था न । ब्लेम था दो सौ करोड़ की कस्‍टम चोरी का । मैं उनका वकील बोल रहा हूं । सर की जमानत हो चुकी है । वह बाइज्‍जत घर पहुंच चुके हैं । इसी खुशी में चौपाटी वाले फाइव स्‍टार में आज डिनर  है । काफी वीआईपी आयेंगे । आपको खास तौर पर बुलाया है ।

      थोड़ी देर मे डाकिया भीतर आया । बॉस ने लिफाफा खोलकर  पढ़ा । मंत्री जी की सेवन स्‍टार होटल में शाम को प्रेस ब्रीफिंग थी । उसके बाद डिनर  था । मंत्री जी विदेशी महानगरों के दौरे के बाद कल ही लौटे थे तथा बताना चाहते थे कि चीन, यूरोप और अमरीका ने किस तरह अपने शहरों को शंघाई, लंदन या ह्यूस्टन  बनाया है ।

    कैन यू सी द डिफ्रेंस माइ डियर ?  संपादक संवाददाता की तरफ देखते हुए बोले सही खबर चुनने का क्‍या फायदा होता है । कितनी रेपो मिल रही है मुझे ?  सोचो, मैं भी तुम्‍हारी तरह गंदे फंदे  जानवरों से भी बदतर इन झु्ग्‍गी वालों, फटेहालों पर लिखता तो कौन पूछता मुझे ? अभी भी वक्‍त है । नौजवान हो । जरुरतमंद हो । वक्‍त की नजाकत समझो और खबरों का चुनाव करना सीखो । फिर देखो दुनिया के सारे ऐशो आराम तुम्‍हारे कदमों पर होंगे ।

    रिपोर्टर , जो बड़ी मुश्किल से सुन रहा था, संभल न सका । गुस्‍से से उसका चेहरा तमतमा उठा ।

“हिप्‍पोक्रेट”  !

बस यही निकल सका उसके मुंह से । नफरत से बॉस को घूरा उसने । अपनी "छोटी सी खबर" उठाई, और कंधे पर थैला लटकाये बाहर निकल गया । 

  (समाप्त) 






















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डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.

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