व्यंग्य- इति मुख्यधारा पुराणे


   एक बार नैमिषारण्य के तीर्थ में शौनकदि अट्ठासी हजार ऋृषियों ने सूत जी से पूछा-‘हे महाराज, हमने आपके मुख से अब तक अनेक तीर्थों की महिमा सुनी, किंतु कलियुग के मानवों के उद्धार के लिए आपने अभी तक कोई तीर्थ नहीं बताया। कृपा करके इस बारे में हमारी जिज्ञासा शांत कीजिये।

   सूत जी बोले-‘हे ऋृषियों ! आपने बड़ा ही उत्तम प्रश्न पूछा है। एकाग्र होकर सुनिये। कलियुग में समस्त भारतवासियों के कल्याण के लिए एक अपूर्व धारा प्रकट होगी जिसका नाम होगा मुख्यधारा। सारे जीवन में यदि एक बार भी कोई मुख्यधारा में स्नान, आचमन कर लेगा तो उसके सारे पाप तत्काल क्षीण हो जायेंगे। यही नहीं, उसके पुण्यों का बैंक बैलेंस इतना अधिक हो जायेगा कि उसकी आनेवाली सात पीढ़ियों को कोई पुण्य कर्म नहीं करना पड़ेगा। वे आनंद से बैठकर मुख्यधारा के संचित पुण्यों का उपभोग करती रहेंगी। अतः हे ऋृषियों, अपने तथा भावी पीढ़ियों के कल्याण के लिए ‘बुद्धिमान’ लोग मुख्यधारा के बिल्कुल समीप निवास करेंगे।

   ऋृषियों ने शंका जताई-हे सूत जी, यह धारा जब इतनी चमत्कारिणी है तो हर प्राणी इसमें नहाना चाहेगा ? जब इसमें नहा-नहा कर सभी स्वर्ग पहुंचेंगे तो यहां बचेगा कौन ? नरक की सभी फैकल्टियां निर्जन हो जायेंगी। यम के दूत मुफ़्त की पगार लेंगे। अतः हे ज्ञानसागर ! हमारी शंका का निवारण कीजिये।’

   सूत जी मुस्करा कर बोले- हे ऋृषियों, आपकी शंका उचित है। अफरा-तफरी मच सकती है। लेकिन इस धारा का नियंत्रण भरतखंड के सताधारी दल के पास रहेगा। मुख्यधारा में आने की दावत सिर्फ़ अल्पसंख्यकों, विद्रोही नगाओं, माओवादियों, डाकुओं, अपहरण विशेषज्ञों और अलगाववादियों को ही दी जायेगी।

   इसके अलावा मुख्यधारा ज्वाइन करने के पात्र वे बाहुबली भी होंगे जिन पर हत्या के दर्जनों मुक़द्दमे चल रहे होंगे या जिन्होंने बलात्कारों का कीर्तिमान स्थापित किया होगा। चंबल के बीहड़ोंं में समानांतर शासन व्यवस्था चलाते डाकू भी इसके योग्य माने जाएंगे। सुदूर दक्षिण के चंदन वनों में विचरते, हाथियों के दांत तोड़ते और चंदन की लकड़ियों की तस्करी करते हमारे तस्कर भाई भी मुख्यधारा में स्नान करने के पात्र होंगे।


     ऋषियों ने पूछा- हे महर्षि, हमारी शंका का आपने भलीभांति निराकरण किया। किंतु यह भी बताइये कि वे कौन लोग हैं जिन्हें मुख्यधारा में नही आने दिया जाएगा

इस पर सूत जी बोले- ऋषियों ! जो बुद्धिजीवी निजीकरण की आलोचना करेंगे, जो हजारों  किसानों की आत्महत्या का मामला उठाएंगे, जो भारत के शासकों की विदेशनीति पर उंगली उठाएंगे, क्रांति की बात करेंगे, गांवोंं से उजड़ कर महानगरों की तरफ़ भागते साधनहीन लोगों के मसले उठाएंगे- ऐसे लोग मुख्यधारा के स्नान के लिए अयोग्य समझे जाएंंगे। जो विधायक या सांसद अपने दलों को तोड़कर सत्ताधारी दल से मिलेंगे, उनके हाथ मजबूत करेंगे, उन्हें मंत्री पद से नवाज कर मुख्यधारा के जल से उनका राज्याभिषेक किया जाएगा।

    ऋषियों ने पूछा- हे सूत जी, आपने मुख्यधारा के पात्रों-कुपात्रों के बारे में स्पष्ट रूप से बताया। आपकी शैली अत्यंत मधुर तथा रस से पूर्ण है। कृपया हमें बताइये कि भू-लोक के भरतखंड में मुख्यधारा कहां प्रकट होगी तथा कहां बहती हुई अंत में कहां विलीन होगी ?

       इस पर सूत जी बोले- ऋषियों, इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) में सत्ताधारी दल के अध्यक्ष के बंगले से धारा प्रकट होगी और चार दिशाओं में छोटी-छोटी धाराओं में बंट जायेगी। उत्तर की धारा कश्मीर में एलएसी तक पहुंचेगी। दक्षिण में धारा कर्नाटक के चदंन वनों तथा तमिलनाडु के शंकराचार्य के मठ तक पहुंचेगी। पश्चिम में यह धारा कुरूक्षेत्र (हरियाणा), पंचनद प्रदेश (पंजाब), राजस्थान, सौराष्ट्र तथा महाराष्ट्र के योग्य संतों को आप्लावित करेगी तथा पूर्व में कोसल (उत्तर प्रदेश), मगध के पाटलिपुत्र (बिहार) से होती हुई बंग देश के ताम्रलिप्ति बंदरगाह पर जलधि में विलीन हो जोयेगी। 


   हरियाणा के सभी ‘लाल’ इस धारा में अपने पुत्र-पौत्रों सहित जमकर स्नान किया करेंगे। आर्यावर्त (यूपी) और मगध (बिहार) में तब श्री कृष्ण के वंशजों का अंधेर साम्राज्य होगा जहां वह साइकिल पर बैठकर लालटेन की रोशनी से भैंसों के तबेलों की देखभाल करेंगे। गायों की देखभाल की ज़िम्मेदारी के ठेके कसाइयों को दे दिये जायेंगे। पाटलिपुत्र के राजमार्गों पर पतला गोबर करती भैंसें यत्र-तत्र विचरण करेंगी तथा मुख्यधारा में घंटों पड़ी-पड़ी मल-मूत्र विसर्जन करती रहेंगी। राज्यकर्मचारी मुख्यधारा के जल से चारे की फ़सल सींचेंगे।

   यह सुनकर ऋषि रोमांचित हो उठे। कैसा घोर अन्याय ? कहीं तो बड़े-बड़े बुद्धिजीवी मुख्यधारा में स्नान से वंचित और कहीं भैंसें भी मुख्यधारा में घंटों तक नहायें ? खैर ! कलिकाल की नियति समझ ऋषि चुप रहे।

   थोड़ी देर बाद एक ऋषि बोले- हे सूत जी, इसके बाद मुख्यधारा की क्या गति होनेवाली है, कृपा करके वह भी बताइये।

   तब सूत जी ने कहा- हे़ ऋषियों, बंग देश में शासकें की चरित्र बड़ा विचित्र होगा, वे ग़रीब, मजदूर, सर्वहारा- के सहारे सत्ता तक पहुंचेंगे और सत्ता पाने के बाद ग़रीब किसानों की ज़मीने छीन विदेशी पूंजीपतियों को बेच देंगे। वे राज्य के कल-कारखानों की नीलामी करायेंगे, जिससे मज़दूर भी बेकार हो जायेगा। फिर वे रिक्शां बंद करके ग़रीबों को ही खत्म होने पर मज़बूर कर देंगे और खूद परिवार सहित मुख्यधारा में जल विहार करेंगे।

इति मुख्यधारा पुराणे प्रथमोध्याय।




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डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.
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