लाला मुंगेरी लाल जी अपने बाद दो सपूतों राम और श्याम के अलावा बेशुमार दौलत
भी छोड़ कर इस असार संसार से रुखसत हुए थे. बेटे सपूत थे. उन्हे लगा कि कुछ ऐसा
किया जाए कि पूज्य पिताश्री की कीर्ति-पताका युगों युगों तक इस भारत भूमि में ही
नहीं बल्कि अब्रॉड तक फहराती रहे.
काफी सोचने के बाद दोनों भाइयों ने फैसला किया कि पिताजी के नाम से हर साल कलाकारों को
सम्मानित किया करेंगे. दोनो भाइयों की कलाकारों के बारे मे कॉमन राय थी कि यही वह प्राणी हैं जिनकी ऊपर की इनकम
नहीं होती. जो रोज़ कुआं खोदते हैं और रोज़ पानी पीते हैं. खून भी सबसे ज्यादा
इन्हीं का चूसा जाता है. उन्हें सम्मान तो खूब दिया जाता है,मगर
पैसा नहीं. और ये हाल सभी टाइप के कलाकारों का है, चाहे
वे गायक हों, एक्टर हों, लेखक
हों या फिर डांसर.
लाला मुंगेरी
लाल जी क्योंकि सर्व धर्म समभाव की तबीयत के आदमी थे, लिहाज़ा
उनकी याद में होने वाले प्रोग्राम में सभी विधाओं के कलाकारों को एक ही छत के
नीचे सम्मानित करने का फैसला हुआ.
हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखे
को फारसी क्या ! फौरन योजना का श्रीगणेश कर दिया गया.
शहर के मशहूर हॉल में आज इसी समारोह का उद्घाटन बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा
था.
सम्मानित होने वाले सबसे पहले कलाकार थे एक उभरते हुए
हीरो, जिन्हें प्यार
से इंडस्ट्री वाले रोशन भाई कहते थे.
संचालक तोताराम जी माइक पर अपनी चोंच लगभग
टकराते हुए चहके-
-साथियो, सबसे
पहले मैं दावत देता हूं जनाब रोशन भाई को. फिल्म इंडस्ट्री में इन्हें पैर पसारे
अभी जुम्मा-जुम्मा साल-दो साल ही हुए हैं मगर पूत के पांव पालने में ही दीख गए
हैं. इतने कम समय में इन्होने चुंबन के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया है, वह
अच्छे अच्छे नहीं कर सके. इन्होने चुंबन
कला को नए प्रतिमान दिये हैं, नए शब्द, नए
भाव, नए अर्थ दिये हैं.
इनकी कड़ी मेहनत का ही नतीज़ा है कि अब सेंसर बोर्ड ने इस तरफ ध्यान देना
करीब करीब छोड़ ही दिया है. यह उभरता हुआ सितारा चुंबन कला पर शोध कर रहा है. जल्दी
ही इसे- 'चुंबन कला विज्ञान' नामक
विषय में डॉक्टरेट मिलने वाली है. मैं आप सभी की तरफ से चीफ गेस्ट से अर्ज़ करता हूं कि इस होनहार
"चुंबन-सम्राट" को शॉल श्रीफल,
शील्ड, व इक्यावन हज़ार रुपए का चेक भेंट करें.
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच रोशन भाई मंच तक पहुंचे. हाथ
जोड़ कर, हॉल में बैठे हर शख्स की आंखों में आंखें उतार कर उनका
प्यार कुबूल किया. शॉल ओढ़ने,
श्रीफल, शील्ड
व चेक हथियाने के बाद बोले-
' भाइयो, बहनो
! मैं किन शब्दों से आपके प्यार का शुक्रिया अदा करूं? इस
सम्मान को हासिल करने के लिए कितने ही
सितारे जिन्दगी भर इंतज़ार करते हैं, फिर
भी उन्हें यह नसीब नहीं होता. यह इतनी जल्दी मिल जाएगा- खुद मुझे उम्मीद नहीं थी.
खैर ! मैं आपकी उम्मीदों पर और भी ज्यादा खरा उतरने के लिए ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा
दूंगा. मैं चुंबन के क्षेत्र में ऐसे ऐसे क्रांतिकारी प्रयोग करूंगा,कि
आने वाली पीढ़ियों को कहना पड़ेगा -'जब
तक सूरज चांद रहेगा,
रोशन तेरा नाम
रहेगा'.

ऐसे महान पत्रकार शिरोमणि को अब तक जाने क्यों सम्मानित
नहीं किया गया ?
ये बात अलग है
कि सम्मान वम्मान से आप दूर ही रहते हैं.
मगर जनाब हीरा तो हीरा है न ! कैसे अपनी चमक छुपा सकता है ? खैर
! देर आये, दुरुस्त आये. इनकी काबिलियत सबसे पहले पहचानी हमारे लाला
जी ने. तभी तो इन्हें 'कुंभकर्णम' नामक
सम्मान दिया जा रहा है. आशा है-अपनी चटपटी, मसालेदार, रहस्यमय
तथा पारलौकिक पत्रकारिता के बूते पर ये तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते चले जाएंगे, स्वर्ग
तथा नर्क जा कर देवताओं, दैत्यों के इंटरव्यू भी लेने लगेंगे. इनका कर्ज़ सनातन
धर्म कभी चुका ही नहीं सकता. मैं लाला रामलाल जी से निवेदन करूंगा कि ऐसे असाधारण
प्रतिभा के धनी गज़क शर्मा जी को शाल उढ़ाएं, इनके
कर कमलों में श्रीफल स्थापित करें तथा लाला श्याम लाल जी इन्हें इक्यावन हजार का
चेक प्रदान कर स्वर्ग में अपना फ्लैट सुरक्षित कराएं,
क्योंकि इनकी स्वर्ग में खूब चलती है. सारे देवता इन्हें बाइनेम जानते हैं.
तालियों के गगन भेदी शोर के बीच पत्रकार गज़क शर्मा जी
मंच पर चढ़े, फिर धीरे धीरे माइक की ओर बढ़े. मुस्कराते हुए बोले-
-सज्जनो ! आपके आशीर्वाद से आकाश, धरती
व पाताल को हम कवर कर चुके हैं. कल तक जो बातें झूठ लगती थी,
उन्हें कैमरे की ट्रिक से हमने सच कर दिखाया है ! बहुत जल्दी हमारे चैनल से आप स्वर्ग में बैठे ब्रह्मा, विष्णु, महेश
जी का लाइव इंटरव्यू देखेंगे. नरक से भी हम यमराज के दरबार की कार्यवाहियों का लाइव
टेलीकास्ट यानी कि सीधा प्रसारण करने वाले हैं. हमारी अदालत में कई मृत आत्माओं पर
भी मुकदमा चलाया गया है,
जिसे हम जल्दी ही
दिखाने वाले हैं. जै भारत.
शॉल ओढ़, चेक,
शील्ड व नारियल थाम,
विनय भार से झुके
गज़क शर्मा जी जैसे ही मंच से विदा हुए,
तोताराम जी माइक पर जा चिपके -
- और अब हम सम्मानित करने जा रहे हैं एक ऐसी हीरोइन को, जिन्होनें
कपड़ों का बायकाट कर दिया है. इनके तन पर
कपड़े खोजने कई दस्ते भेजे गए पर सभी ढूंढते रह गए. जैसे ही वस्त्र के नाम पर ये
कोई छोटा-मोटा रूमाल धारण करने लगती हैं- इनकी देह से आग की चिनगारियां फूटने लगती
हैं. और फिर हो जाता है सब कुछ उल्टा पुल्टा. इस "न्यूनतम वस्त्र
धारिणी" सम्मान इनके अलावा
भला किसे दिया जा सकता है ?
मैं लाला श्याम लाल
जी से बिनती करता हूं कि कुमारी वल्लरी अबजावत को यह सम्मान व चेक भेंट करें. मगर
शॉल न उढ़ाएं, वरना फिर इनकी देह से अग्निकण निकल कर बिखरने लगेंगे. आग
लग जाएगी. लॉ एंड ऑर्डर की समस्या खड़ी हो जाएगी. क्यों पंगा लेना बैठे बिठाए. आ
बैल मुझे मार.
तालियों के पागल शोर के बीच वल्लरी जी कॉमन मिनिमम
प्रोग्राम की तर्ज़ पर न्यूनतम वस्त्र धारण
किये मंच पर प्रकट हुईं. लाला जी नें शॉल उठा कर दूर फेंका, आंखों
पर चश्मा ठीक से बिठाते हुए वल्लरी जी को स्लो मोशन में ऊपर से नीचे तक निहारा. उसके
बाद भारी मन से उन्हें चेक व सर्टिफिकेट सौंपा.
वल्लरी जी दो शब्द बोलीं- लेडीज़ एंड जेंटलमेन, मुझे समझ नहीं आता कि हम मनुष्य जाति के लोग
कपड़े पहनते ही क्यों हैं?
क्या आपने कुत्ते,
बिल्ली, भैंस, गाय, बैल, घोड़े, खच्चर
को कपड़ों में देखा?
चिड़ियों को
शर्ट-पैंट में देखा ?
तो फिर हम इंसानों ने
यह कपड़ों की बीमारी क्यों पाली ? आइये, आज
हम कसम खाएं कि कल से कम से कम कपड़े पहनेंगे, किश्तों
में इस लज्जा नाम की बीमारी से पिंड छुड़ाएंगे. गांधी जी की तरह मैं भी नारा देती
हूं- कपड़ो, मानव को छोड़ो. जैसे अंग्रेजों को मुल्क छोड़ना पड़ा, वैसे
ही कपड़ों को भी मानव देह छोड़नी पड़ेगी, जै
भारत.
वल्लरी जी के जाने के बाद तोताराम जी ने माइक पर चोंच चलाई- भाइयो-बहनो !
अभी मौर्या दूध-पानी वाला,
हलवाई ब्रजबासी, बाबू
रामकसम जैसे नामचीन लोग सम्मानित होने वालों में बाकी हैं. इनका भी संक्षेप मे
इंट्रोडक्शन करा दूं .
दूध -सम्राट मौर्या जी ने ऐसे नकली दूध की खोज की है जिसे
मशीन क्या, खुद भैंस तक नहीं पकड़ सकती. देखने में, पीने
में, एक दम खालिस. इनके दूध मे मलाई और दही अच्छी जमती है.
गाहक बड़े संतुष्ट हैं इनसे.
वैसे ही ये हलवाई ब्रजबासी जी हैं. इन्होने कसम खा ली
है कि आलू शकरकन्दी व अरबी के अलावा किसी और चीज़ का मावा नहीं बनाऊंगा, देसी घी में चरबी,
आलू, अरबी या सिंघाड़े के आटे के अलावा और कुछ
भी नहीं मिलाऊंगा. बासी
चीज़ें बेकार नहीं फेंकूंगा. सब कुछ मिक्स मिठाई मे इस खूबसूरती से मिक्स करूंगा कि
इंस्पेक्टर भी देखते रह जाएंगे. अपने
उसूलों पर ये बुरी तरह अटल हैं, पिछले कई साल से
गाहकों की सेहत को गिरने से बचाए हुए हैं.
और ये बाबू रामकसम ! इन्होनें तो जिस रोज नौकरी ज्वाइन की थी, उसी
रोज कसम खा ली थी कि बगैर सुविधा शुल्क लिये बाप का भी काम नहीं करूंगा, फिर
आम पब्लिक किस खेत की मूली है ? अपनी कसम का पालन
आप सर्विस ज्वाइन करने के बाद से लगातार ईमानदारी से करते चले आ रहे हैं.
अभी सम्मान समारोह चल ही रहा था कि अचानक दर्ज़नों पुलिस
के सिपाही भीतर घुस आए और बोले - खबरदार !
भागने की कोशिश मत करना लाला रामलाल. यू आर अंडर अरेस्ट. तुम्हारे पेट्रोल पंप पर
मिट्टी-तेल का अंडर ग्राउंड टैंकर पाया गया है,
जिसे तुम पेट्रोल मे मिला कर बेचते हो. चलो थाने.
सम्मान समारोह को बीच में ही रोकना पड़ा. कलाकारों को
सम्मानित कर रहे लाला जी हथकड़ियां पहने बड़े बेआबरू हो कर पुलिस की जीप की तरफ बढ़ने
लगे, जो बड़ी बेसब्री से उनका इंतज़ार कर रही थी.
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