क्र. सं.
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मुहावरे
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हिंदी अर्थ
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1
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अंधों
मे काना राजा
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मूर्खों
के बीच कम ज्ञानी भी विद्वान माना जाता है.
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2
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अंधेर
नगरी चौपट राजा
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मूर्ख
राजा का राज्य भी मूर्ख होगा
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3
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पानी मे
आग लगाए जमालो दूर खड़ी
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समस्या
खड़ी कर दूर से देखना
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4
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कंगाली
मे आटा गीला
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परेशानी
मे और परेशानी
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5
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अंत भला
तो सब भला
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किसी
काम का आखिर मे ठीक हो जाना
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6
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नौ दिन
चले अढ़ाई कोस
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बहुत
मेहनत के बाद भी कम फल मिलना
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7
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भूसे के
ढेर मे सुई खोजना
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छोटे से
फायदे के लिए बहुत मेहनत करना
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8
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ज्यादा
जोगी मठ उजाड़
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ज्यादा
लोगों मे काम न होना .
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9
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ज्यादा
बिल्लियों मे चूहे नही मरते .
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‘’
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10
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सौ सौ
चूहे खाय बिलैया हज को जाय
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दोहरा
चरित्र
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11
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जिसका
भत्ता खाणा उसका गित्ता गाणा
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अवसर
वादी
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12
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चोर
चोरी से जाए हेराफेरी से न जाए.
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आदत से
बाज न आना
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13
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छोटे
मियां तो छोटे मियां बड़े मियां सुभान अल्लाह.
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एक से
बढ़ कर एक
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14
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बिना
मरे स्वर्ग नही मिलता
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सफलता खुद
काम करने से ही मिलती है.
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15
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सारी दीखै
जात आधी लीजै बांट
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नुकसान
की भरपाई करना
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16
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सौ
सुनार की एक लुहार की
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प्रभावी
ढंग से काम करना
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17
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होता
वही है जो मंजूरे खुदा होता है.
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अपना
सोचा हुआ नही होता
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18
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गुदड़ी
के लाल
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अभावों
के बावजूद सफल होना.
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19
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रस्सी
जल गई पर एंठन न गई
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अहंकार
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20
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गरीब की जोरू सबकी बहू
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निर्धनता
सबसे बड़ी बेबसी
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21
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दूध का
दूध पानी का पानी
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न्याय करना
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22
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अपनी
ढपली अपना राग
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किसी की
न सुनना
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23
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बंदर को
हल्दी की गांठ मिली पंसारी बन बैठा
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अपने बारे मे बढ़ा चढ़ा कर बताना
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24
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बंदर के
हाथ मे उस्तरा
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अयोग्य
को जिम्मेदारी देना
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25
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दूधों
नहाओ पूतों फलो
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खूब
तरक्की करो
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26
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दो
पैसे की हंडिया गई , कुत्ते की जात पता चली
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असलियत
मालूम हो जाना
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27
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घर का
जोगी जोगना आन गांव का सिद्ध
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बाहरी
व्यक्ति को अधिक महत्व देना
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28
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घर की
मुर्गी दाल बराबर
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‘’
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29
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बारह
साल नाल मे रही तब भी कुत्ते की पूंछ टेढ़ी
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अपने की
ही सही मानना
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30
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बेकार
से बेगार भली
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खाली
बैठने से नि:शुल्क काम करना अच्छा
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31
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बंदर के
सिर पर टोपी
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अयोग्य
को सम्मान देना
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32
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मीठा
मीठा गड़प गड़प कड़वा कड़वा थू थू
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अच्छा
अच्छा लेना व खराब खराब छोड़ना
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33
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तीन
पांच करना
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व्यर्थ
तर्क देना
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34
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नौ दो
ग्यारह होना
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जरूरत
के वक्त नदारद होना.
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35
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लोहे के
चने चबाना
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बहुत
मुश्किलों से उठना
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36
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चित भी
मेरी पट भी मेरी अंटा मेरे बाप का
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अपनी ही
सफलता चाहना
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37
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नीम
हकीम खतरा ए जान
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आधा
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है.
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38
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अपने
मुंह मियां मिठ्ठू
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अपनी
तारीफ खुद करना
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39
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नया नौ
दिन पुराना सौ दिन
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अनुभव
को महत्व देना
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40
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काम का
न काज का ढाई सेर अनाज का
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अयोग्य
व्यक्ति बोझ होता है.
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41
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बारह
साल मे घूरे के दिन भी फिरते हैं
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बेकार
चीज़ भी कभी न कभी काम आती है.
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42
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सावन
के अंधे को हरा ही हरा दीखता है
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अपने को
ही सही मानना
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43
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सावन
सूखे न भादों हरे
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यथास्थिति
बनी रहना
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44
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लकड़ी के
बल बंदरी नाचे
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मजबूरी
का फायदा उठाना
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45
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जाको
राखे सांइया मार सके ना कोय
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ईश्वर
की कृपा होना
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46
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घोड़े मरे, गधों पे जीन कसी
| अयोग्य को अधिकार देना |
47
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कवाब मे
हड्डी
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बिन
बुलाए जाना
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48
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बीती
ताहि बिसार दे आगे की सुध लेहु
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पिछली
असफलता भूल कर पुन: प्रयास करना
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49
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दूध का
जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है.
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धोखा
मिलने के बाद संभल कर चलना
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50
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एक तीर
से दो शिकार
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एक साथ
कई मतलब सिद्ध करना
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51
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52
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53
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