ये
कदमों के निशां कितने सलीके से पड़े हैं ।
सुनो
इन पर चलो तो संभल कर चलना ॥
जहां
पानी भरा हो मगर सूखा दीखता हो ।
कभी
ऐसी जमीनों पर चलो तो ध्यान रखना ॥
वो
शीशे में जड़ी तसवीर सबको खूब भाती है ।
वो
बदलेगी नहीं उस पर कलाकारी न करना ॥
उन्होने
पौधशाला में जहर के बीज बोए हैं ।
हवा
में भी जहर होगा वहां से मत गुजरना ॥
नया
दीपक जलाने के तुम्हारे वायदे झूठे ।
खुदा
के वास्ते जलते दियों को मत बुझाना ॥
जहां
तुम आज भी कांटे बिछाते आ रहे हो ।
वो
अब भी आम रस्ता है इतना ध्यान रखना ॥
तुमसे
आज मांगा और तुमने कल दिया ।
ये
कल परसों न हो जए इसी का ध्यान रखना॥
पिला
देना सही है विष कहीं विश्वास देने से ।
तुम्हीं
बोले तुम्हीं भूले जरा सा याद रखना ॥
तुम्हारा
जहर देने का तरीका है निराला ।
कभी
अमृत पिलाने की तकल्लुफ ही न करना ॥
उनके
नख व जबड़े खून से काफी सने हैं ।
ऐसे
देवताओं से जरा सा दूर रहना ॥
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