ये कदमों के निशां -------------------

 

                                 

 

ये कदमों के निशां कितने सलीके से पड़े हैं ।

सुनो इन पर चलो तो संभल कर चलना ॥

 

जहां पानी भरा हो मगर सूखा दीखता हो ।

कभी ऐसी जमीनों पर चलो तो ध्यान रखना ॥

 

वो शीशे में जड़ी तसवीर सबको खूब भाती है ।

वो बदलेगी नहीं उस पर कलाकारी न करना ॥

 

उन्होने पौधशाला में जहर के बीज बोए हैं ।

हवा में भी जहर होगा वहां से  मत गुजरना ॥

 

नया दीपक जलाने के तुम्हारे वायदे झूठे ।

खुदा के वास्ते जलते दियों को मत बुझाना ॥

 

जहां तुम आज भी कांटे बिछाते आ रहे हो ।

वो अब भी आम रस्ता है इतना ध्यान रखना ॥

 

तुमसे आज मांगा और तुमने कल दिया ।

ये कल परसों न हो जए इसी का ध्यान रखना॥

 

पिला देना सही है विष कहीं विश्वास देने से ।

तुम्हीं बोले तुम्हीं भूले जरा सा याद रखना ॥

 

तुम्हारा जहर देने का तरीका है निराला 

कभी अमृत पिलाने की तकल्लुफ ही न करना ॥

 

उनके नख व जबड़े खून से काफी सने हैं ।

ऐसे देवताओं से जरा सा दूर रहना ॥

 

 

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डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.
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