आप आए थे हवा के खुशनुमा
झोंके लिए ।
दर्द का बे इंतिहा सैलाब
क्यों दे कर गए ॥
आपके व्यक्तित्व की तो बात
ही कुछ और है ।
आपसे जो भी मिले वो आपके
ही हो गए ॥
भावनाओं की बड़ी गहरी समझ
है आपको ।
आपके इस फन के देखो हम भी
कायल हो गए ॥
बात रिश्तों की चली तो
जिक्र आया आपका ।
आप रिश्तों की नफासत भी
हमें समझा गए ॥
घायलों के दर्द का अहसास
सब करते नहीं ।
आपसे घायल मिले बेदर्द हो
कर रह गए ॥
आपमें कुछ नुख्स हों हम
चाहते तो थे ।
आप तो लेकिन तपाए शुद्ध
कंचन हो गए ॥
थीं जमीं पर ढेर सी बेलें
यहां फैली हुईं ।
आप उन सबके लिए पक्के
सहारे हो गए ॥
आपके जाते ही मायूसी यहां छा जाएगी ।
आपके रहते हुए हम बेसहारा हो गए ॥
हर कोई गमगीन है कल आप आएंगे नहीं।
ये उजाले आज से ही स्याह कैसे हो गए ॥
आपके जाते ही मायूसी यहां छा जाएगी ।
आपके रहते हुए हम बेसहारा हो गए ॥
हर कोई गमगीन है कल आप आएंगे नहीं।
ये उजाले आज से ही स्याह कैसे हो गए ॥
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें