कौन कहता है कि वह इंसान है ।
गौर से देखो वो चाभी का खिलौना है ॥ 1॥
नए दोजख बनाने पर तुली है ।
ये आदमजात पागल हो गई है ॥2॥
महज बरबादियों मे ही नहीं है ।
यहां आबादियों मे भी सियासत है ॥3॥
कल तुम्हारे हाथ से जो छिन गया ।
वह निवाला आज मेरे पेट मे है ॥ 4॥
तुम सभी कमजोर लोगों के निवाले ।
कौन है जो सब हड़पना चाहता है ॥5॥
ये ऊपर से नहीं आई ज़मीनी है ।
परेशानी हमारी ही बुलाई है ॥6॥
गीदड़ों की दरजनों की डार से ।
बघेला एक हो तो भी बहुत है ॥7॥
वो सौदागर यहीं पर हैं जिन्होने ।
आदमी को आदमी से काट रक्खा है ॥ 8॥
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