एक बार छिड़ गई बहस गाय और कुत्ते में।
जांच रहे थे कौन शक्तिशाली है हम दोनो में॥1
गैया बोली सुन रे कुत्ते सीधी बात बताती हूं।
मैं तो सूखा भूसा खा कर भी ज़िन्दा रह जाती हूं॥2
नहीं चाहियें मुझे हड्डियां, डॉग मील या बिस्किट।
पेट
मेरा भर जाता है खा कर कूड़ा करकट॥3
तुम ठहरे शहरों के टॉमी फ्लैटों में रहते हो।
जहां भौंकने तक से बच्चू रोज़ बचे रहते हो॥4
बाथरूम में शावर से तुम रोज़ नहाया करते हो।
बैठ कार में मैडम के संग रोज़ घूम आते हो ॥5
तुमको छींक ज़रा आते ही मैडम घबराती है।
फौरन वेटनरी डॉक्टर को घर बुलवा
लेती है ॥6
कई हज़ार महीने भर में तुम खर्च करा देते हो।
देख भाल के लिए निखट्टू नौकर रखवाते हो॥7
इतना खर्च करा कर भी आउटपुट क्या देते हो।
चोर आ गया तो बिस्तर में जा कर छिप जाते हो॥8
जैसे ही चुप हुई गाय तो लगा भौंकने कुत्ता।
लगा दिखाने गाय बिचारी को वह अपनी सत्ता॥9
कई बार भौंका वह कुत्ता और गाय से
बोला।
भड़क उठा तेरी बातों से मेरे मन का शोला॥10
मन ही मन मेरी खुशियों से क्यों जलती रहती है ।
इसीलिये क्या मालिक को तू दूध नहीं देती है ॥11
चारे के गट्ठर तो फौरन तू चट
कर जाती है।
और दूध लेने जाओ तो लात घुमा देती है ॥12
वैसे दूध थनों में तेरे खूब भरा रहता है ।
और बाल्टी ले जाओ तो गायब हो जाता है ॥13
इतने में नौकर ने आकर हाथ जोड़ विनती की
।
हे डॉगेश्वर बीत रही है घड़ी बाथ लेने की ॥14
याद नहीं मैडम संग
तुमको शॉपिंग पर जाना है ?
वहीं मटन खाकर फिर जल्दी वापस घर आना है ॥15
अच्छा हम चलते हैं गैया –कुत्ते ने चुटकी काटी ।
कल
पूछेंगे आज रात भर तुम पर क्या क्या बीती ॥16
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