गुरुवार, 27 अगस्त 2020

व्यंग्य कविता - रावण का ग्यारहवां सिर




पहला सिर ऋग्वेद
दूसरा यजुर्वेद
तीसरा सामवेद
चौथा अथर्ववेद
पांचवां सिर शिक्षा
छठा सिर कल्प
सातवां सिर व्याकरण
आठवां सिर निरुक्त
नवां सिर छंद
दसवां सिर ज्योतिष
इतने विद्वान पुरुष के दस सिरों के ऊपर
एक और सिर था-
गधे का सिर ।
क्या ग्यारहवां सिर ही नियति है रावणों की ?  
(समाप्त)

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