‘हां तो सर, मैं जानना चाहता हूं – शर्म
इन्सान में किस जगह होती है?
नचिकेता के सीधे सवाल पर यमराज डिस्टर्ब हुए लेकिन जल्दी ही संभल कर बोले
– माइ डियर, दुनियां में इससे भी जरुरी बातें हैं, जिन्हें जान
कर तुम फायदे में रहोगे, मसलन – वे कौन कौन से ऐशो आराम हैं
जो स्वर्ग जाने वाली आत्माओं को मैं प्रोवाइड कराता हूं ?
या फिर नरक में वे कौन-कौन से यंत्र हैं, जिनमें डाल कर मैं पापी आत्माओं को
पकाता हूं ? अंबानियों, टाटाओं, बाटाओं के घर मैं आत्माओं
को किस बेसिस पर भेजता हूं ? या फिर नत्थू कसाई के यहां
दसवां बच्चा बन कर मैं किन आत्माओं को डिस्पैच करता हूं ? ऐसे प्रश्न पूछो तो
कुछ बात भी बने ? कहां तुम भी लाज-शर्म ढूंढने लगे ? वो भी इन्सान के शरीर में ! ‘
नचिकेता
ने नजर के चश्में को उंगली से ऊपर खिसकाया, फिर कुछ सोचता हुए बोला
– ‘सारी सर, मुझे उस दुनियां के बारे नहीं
जानना जो मरने के बाद शुरु होती है । मैं बात करुंगा सिर्फ इस दुनिया की । जिसे
मैं सोते-जागते, उठते-बैठते, आते-जाते रोज अपनी आंखों से देखता हूं । मैं तो उन्हीं
की बात करुंगा जो मेरी हर तरह रोज मुसीबतें झेलते हैं। मेरी ही तरह जिंदा रहने के
लिए कड़ी मेहनत करते है । उन्हीं इन्सानी जिस्मों में शर्म कहां रहती है – सिर्फ यही जानने की इच्छा है ।
– कभी – कभी मुझे बड़ा प्यार आता है तुम
पर । तुम ईमानदार हो, इंटेलेक्चुअल हो, और सबसे बड़ी बात है – कर्मयोगी हो । सुनो – दुनियां में बड़ी-बड़ी हस्तियों
के नाम पर फाऊंडेशन चल रही हैं । फोर्ड फाऊंडेशन में मेरे बंदे हैं । मेरी मानो – स्कालरशिप ले लो । फिर मजे से बैठकर रिसर्च करते रहना कि शर्म ह्यूमन
बॉडी में किस जगह पाई जाती है । इस सिलसिले में तुम्हें दुनियां में जहां भी
घूमने की इच्छा हो – घूम लेना । टी.ए., डी.ए. पूरा मिलेगा,
एअर फेयर अलग, बोलो – है मंजूर ?
- ‘सर! आप मुझे प्रलोभन दे रहे हैं !
माफ कीजिए सर, नचिकेता बिकाऊ माल नहीं है । मैं तो सिर्फ यह जानना
चाहता हूं कि शर्म इन्सान के किस हिस्से में पाई जाती है ?
यमराज
के माथे पर चिंता का रेखागणित उभरने लगा । मन ही मन कुछ सोचा, फिर नचिकेता की
आंखों में झांक कर बोले, ‘वैसे काम जरा मुश्किल है,
लेकिन हो जाएगा । ऐसा करता हूं कि तुम्हें यमलोक की राज्य सभा में ‘सदस्य’ मनोनीत करा लेता हूं । नहीं तो क्या होगा
कि तुम ममता बनर्जी या मेधा पाटकर की तरह भूख हड़तालें करते फिरोगे । चालाक लोग
तुम्हें मिसयूज़ करेंगे । टेलेंट तुम्हारा होगा, नाम किन्हीं और का । मेरा ख्याल
है तुम्हें यह प्रस्ताव जरुर पसंद आएगा ।

आखिरकार
यम को हथियार डालने पड़े । मुस्करा कर
नचिकेता का सिर सहलाया और बोले – ‘बेटे ये कमिटमेंट जीवन भर बनाए रखना । तुम जानने के हकदार हो । सुनो – शर्म इन्सान की आंखों में होती है । ‘


यह सुनकर नचिकेता व्यंग्य पूर्वक मुस्कराया
और कहने लगा – प्रधानमंत्री के आश्वासन के
बाद भी जहां विदर्भ के किसानों की आत्महत्याएं नहीं थमती हों, मुआवजे के ऐलान के
बाद भी जहां जान पर खेलते किसानों को मुआवजा न दिया जाता हो, पूंजीपतियों द्वारा
सार्वजनिक बैंकों से लिया गया लाखों करोड़ का कर्ज जहां सरकार को नजर न आता हो, और
मजबूर हो कर मौत को गले लगाते किसानों के मामूली कर्ज माफ करने में जहां सरकार को
अर्थव्यवस्था डूबती नजर आती हो । ऐसे इन्सानों, की जुबान पर शर्म ? ये कैसी बात कर दी आपने ?’
यमराज को पैरों तले की जमीन खिसकती सी महसूस
हुई । फिर भी आवाज कड़ी करते हुए बोले

यमराज धीरे-धीरे निहत्थे होने लगे । बौखलाहट उनके चेहरे पर साफ नजर आने लगी – इस बार वह झुंझलाते हुए बोले – ‘चलो नाम में नहीं होती, मान लेता हूं, मगर शर्म इन्सान के गालों पर तो
होती ही है । गालों को शर्म से लाल होते कईयों ने देखा भी होगा ।
नचिकेता
ने पल भर को यम की तरफ देखा – उसके
चेहरे पर सहानुभूति के भाव थे ।, आवाज में करुणा थी, और आंखों के आकाश पर वेदना के
बादल छा गए थे । वाष्प रुद्ध आवाज में बोला वह

यमराज
घूरे जा रहे थे । नचिकेता कह रहा था –
- ‘सर, इन्सान के
गालों पर आपने जो देखी – शर्म नहीं थी, खिसियाहट थी,
हताशा थी । लेकिन मैं तो यह जानना चाहता था कि शर्म कहां होती है इन्सान में ?
यमराज ने नचिकेता की पीठ
थपथपाई और बोले
– ‘सच बताऊं वत्स ? शर्म इन्सान ने बेच खाई है.
शर्म इन्सान मे होती ही नहीं ।
(समाप्त)
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