
मीडिया मे आजकल 21 जून 2020 के सूर्य ग्रहण की बहुत चर्चा है. सोशल मीडिया मे तो यहां तक कहा जा रहा है कि ग्रहण का प्रभाव छह महीने बाद तक रहेगा, और इन छह महीनों मे पृथ्वी पर काफी परिवर्तन होंगे. हो सकता है कि मानवता का अस्तित्व ही खतरे मे पड़ जाए.
फ्रांस मे जन्मे भविष्यवक्ता नेस्त्रोदमस ने भी 2020 के लिए चौंकाने वाली भविष्यवाणियां की हुई हैं.
बुल्गारिया मे जन्मी बाबा वेंगा ने
भी इस वर्ष के लिए डरावनी भविष्यवाणियां ही की हैं.
वैज्ञानिकों ने भी माना है कि इस
वर्ष सूरज की गरमी भी सामान्य से काफी कम रहेगी. वैसे तो हर ग्यारहवें वर्ष सूर्य
पर काले धब्बे बढ़ जाते हैं किंतु सूर्य पर एक और परिवर्तन देखा गया है जो शताब्दी
के अंतराल से आता है.
इस परिवर्तन के कारण सूर्य के काले
धब्बे बहुत अधिक बढ़ जाते हैं. परिणामस्वरूप
सूर्य से विकिरण द्वारा निकलने वाली प्रकाश तथा ऊष्मा ऊर्जा काफी कम हो जाती है.
पृथ्वी पर चूंकि जीवन मौजूद है अत: वनस्पतियों तथा जीवधारियों पर इसका प्रभाव साफ
साफ अनुभव हो जाता है.
पिछले वर्ष जून मे दिन का अधिकतम ताप मान 49 0 C
तक पहुंच गया था लेकिन इस वर्ष यह 370 C
से 400 C के आसपास ही रहा है. तापक्रम के साथ साथ प्रकाश की
तीव्रता मे भी कमी आई है. मौसम इतना बदल गया है कि मानो वर्षा ऋतु आरंभ हो चुकी
हो. तो जब वास्तव मे सरदी का मौसम आएगा तब तो इस वर्ष बहुत सरदी पड़ेगी. बारिश भी
सामान्य से बहुत अधिक होगी.
यह परिवर्तन आने वाले कई बरसों तक जारी रहने की संभावना है. हो सकता है गरमी मे इतनी गिरावट आ जाए कि साल के ज्यादातर महीनों मे हमे बर्फ ही देखने को मिले. बाकी समय मे भी कोहरा छाया रहे.
यह परिवर्तन आने वाले कई बरसों तक जारी रहने की संभावना है. हो सकता है गरमी मे इतनी गिरावट आ जाए कि साल के ज्यादातर महीनों मे हमे बर्फ ही देखने को मिले. बाकी समय मे भी कोहरा छाया रहे.
तो क्या हम जलवायु के शताब्दियों
वाले परिवर्तन के करीब आ पहुंचे हैं? क्या
हिमयुग जैसी कोई घटना पृथ्वी पर पुन: घट सकती है ?

क्या इस शिफ्टिंग का संबंध पृथ्वी की
अंदरूनी कोर मे चल रही भयानक उथल पुथल से तो नहीं है ?
जैसा कि हम सभी जानते हैं,
पृथ्वी के
सबसे भीतरी भाग मे सभी धातुएं पानी
की तरह द्रव अवस्था मे हैं. पृथ्वी के
अपने अक्ष मे घूमते हुए यह लावा बहुत कम प्रभावित होता है. पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों का खिसकना कहीं इस लावा की स्थिति मे
हो रहा परिवर्तन तो नहीं ?
यदि ऐसा है तो भीतरी कोर के ऊपर जो
टेक्टोनिक प्लेट्स हैं उनमे भी उथल पुथल संभव है. और यह उथल पुथल किसी विनाशकारी
भूकंप का कारण भी बन सकती है.



एक और खतरा 2020 मे पृथ्वी पर बना हुआ है. और वह
है एस्टेरॉयड्स का. मंगल और गुरु के बीच के अंतरिक्ष मे लाखों करोड़ों धातु के हर
आकार के टुकड़े सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं. इन्हें हम एस्टेरॉयड कहते हैं. कभी कभी
ग्रहों की विशेष घूर्णन स्थितियों की वजह से ये टुकड़े अपने मार्ग से भटक कर कोई
नया मार्ग अपना लेते हैं. इस नए मार्ग मे यदि कोई ग्रह या उपग्रह आ जाता है तो ये
उस पर गिर जाते हैं.

संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष विज्ञान की प्रसिद्ध संस्था नासा ( Natioanal Aeronautics And Space Administration ) ने अपनी वेब साइट मे बताया है कि इस वर्ष छोटे बड़े करीब सत्ताइस एस्टेरॉयड्स (क्षुुुुद्रग्रह या बड़ेे उल्का पिंंड ) भटक कर पृथ्वी की तरफ आ रहे हैं. इनमे से करीब सात आठ तो पृथ्वी के निकट से गुजर भी चुके हैं. बाकी बची लगभग बीस उल्काओं मे से कोई पृथ्वी से टकरा भी सकती है. अगर बीस मीटर या उससे बड़े आकार की उल्का पृथ्वी से टकराई तो संपूर्ण मानवता के लिए संकट पैदा हो सकता है. छोटे मोटे टुकड़े तो पृथ्वी के वायुमंडल के घर्षण से ही भस्म हो जाते हैं लेकिन अगर कोई बड़ा टुकड़ा (बीस पच्चीस मीटर या उससे बड़ा) हुआ तो घर्षण से उसका जल पाना मुश्किल है. भले ही उल्काएं प्रचंड वेग से धरती की तरफ आती हैं, (लगभग 5 किलोमीटर प्रति सेकेंड या उससे भी अधिक वेग से ) । ऐसी स्थिति मे व्यापक जन एवम धन हानि निश्चित है.

संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष विज्ञान की प्रसिद्ध संस्था नासा ( Natioanal Aeronautics And Space Administration ) ने अपनी वेब साइट मे बताया है कि इस वर्ष छोटे बड़े करीब सत्ताइस एस्टेरॉयड्स (क्षुुुुद्रग्रह या बड़ेे उल्का पिंंड ) भटक कर पृथ्वी की तरफ आ रहे हैं. इनमे से करीब सात आठ तो पृथ्वी के निकट से गुजर भी चुके हैं. बाकी बची लगभग बीस उल्काओं मे से कोई पृथ्वी से टकरा भी सकती है. अगर बीस मीटर या उससे बड़े आकार की उल्का पृथ्वी से टकराई तो संपूर्ण मानवता के लिए संकट पैदा हो सकता है. छोटे मोटे टुकड़े तो पृथ्वी के वायुमंडल के घर्षण से ही भस्म हो जाते हैं लेकिन अगर कोई बड़ा टुकड़ा (बीस पच्चीस मीटर या उससे बड़ा) हुआ तो घर्षण से उसका जल पाना मुश्किल है. भले ही उल्काएं प्रचंड वेग से धरती की तरफ आती हैं, (लगभग 5 किलोमीटर प्रति सेकेंड या उससे भी अधिक वेग से ) । ऐसी स्थिति मे व्यापक जन एवम धन हानि निश्चित है.

इन प्राकृतिक आपदाओं के अलावा हम देख रहे हैं कि भयंकर चक्रवातों की संख्या मे भी अचानक काफी बढ़ोत्तरी हुई है. लगातार आ रही बाढ़ और सूखे भी कहीं न कहीं गलत संकेत दे रहे हैं.
इन्ही सब आपदाओं के बीच कई बरसों के
बाद ऐसे संयोग भी बन रहे हैं कि जब एक ही माह के अंतराल पर तीन तीन ग्रहण पड़े हों. पिछले वर्ष 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण पड़ा था. अभी 5 जून को चंद्र ग्रहण पड़ा था, अब
21 जून को पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है. फिर 5 जुलाई 2020 को चंद्र ग्रहण पड़ने
वाला है.

कोरोना वायरस के फैलाव को भी आकाशीय
पिंडों की विशेष स्थितियों के संदर्भ मे देखा जा सकता है. शनि और गुरु प्रत्येक
साठ वर्ष बाद एक राशि मे आते हैं. शनि गुरु का संयोग यदि शनि की राशियों (मकर या
कुंभ ) मे हो तो विषाणुओं का प्रकोप संभव है. यह प्रकोप सीमा से बाहर नहीं जा सकता
क्योंकि देव गुरु भी साथ हैं.
अब देखते हैं कि 21 जून 2020 को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के समय नव ग्रहों की
क्या स्थिति होगी ?
शनि- मकर मे (वक्री)
गुरु – मकर मे (वक्री)
राहु – मिथुन मे (वक्री)
केतु- धनु मे (वक्री)
बुध- मिथुन मे (वक्री)
सूर्य- मिथुन मे (मार्गी)
चंद्र – मिथुन मे (मार्गी)
शुक्र- वृष मे (वक्री)
मंगल- मीन मे ( मार्गी)
दोपहर के समय जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेगा ,
उस समय कन्या लग्न होगा. और तत्कालीन कुंडली
इस प्रकार होगी –
अब इस आकाशीय नक्शे के आधार पर हम यह
पता लगा सकते हैं कि किस राशि पर ग्रहण काल के ग्रहों का क्या प्रभाव पड़ेगा ?
1 मेष राशि – लग्नेश बारहवें भाव मे
होने से मन कुछ अशांत रह सकता है. पराक्रम भाव मे सूर्य बुध चंद्र व राहु की
उपस्थिति यह बताती है कि व्यापार या व्यवसाय सम्बंधी कोई कार्य संपन्न हो सकता है.
वाणी स्थान मे वक्री शुक्र कुछ कर्कश
शब्दों का प्रयोग करवा सकता है. दसवें भाव मे स्थित शनि व गुरु राज्य से अथवा पिता
से लाभ का संकेत दे रहे हैं.
वृष राशि – राशि स्वामी लग्न मे
स्थित है. स्वास्थ्य ठीक रहेगा. लाभ भाव मे मंगल भूमि या वाहन या पशुओं से लाभ
मिलने का संकेत दे रहा है. धन भाव मे स्थित सूर्य
राहु, चंद्र
बुध अचल संपत्ति से लाभ का संकेत है. भाग्य भाव मे शनि गुरु की युति भी शुभ फल
देने वाली है. आठवां केतु उदर संबंधी विकार कर सकता है.
मिथुन राशि- लग्न मे राशि
स्वामी स्वराशिस्थ होकर सूर्य चंद्र व
राहु के साथ है. मन आत्म विश्वास से भरपूर रहेगा. वाहन,
भूमि पशु भवन आदि से लाभ. आठवें भाव मे शनि
व गुरु अज्ञात स्रोत से धन प्राप्ति करा सकते हैं. साथ ही उदर विकार से भी सावधान
रहने का संकेत देते हैं. दसवें भाव मे मंगल शुभ फल प्रदान करेगा.
कर्क राशि – बारहवें भाव मे चार ग्रह
तथा ग्रहण की स्थित या तो यात्रा का योग बना रही है अथवा किसी अन्य तरीके से धन
हानि का इशारा देती है. सप्तम भाव के गुरु
शनि व्यापार मे सफलता सुनिश्चित करते हैं. भाग्य भाव का मंगल भाग्य वृड्ढि करेगा.
लाभ भाव का स्वराशिस्थ शुक्र लाभ देगा, सफेद
वस्तुओं से रसायनों से या दूध के व्यापार से .
सिंह राशि – लाभ भाव मे चार ग्रहो
तथा ग्रहण की स्थिति यद्यपि शुभ मानी जाएगी किंतु राशि स्वामी सूर्य ही ग्रसित हो
रहा है अत: स्वास्थ्य का ध्यान रखें. दसवें भाव का शुक्र सरकारी कामों से या पिता
से अच्छा फल देगा. आठवां मंगल दुर्घटना से सावधानी का संकेत देता है. छठे भाव मे
गुरु शनि सामान्य फल देंगे. केवल
कर्ज और रोग से सतर्क रहें.
कन्या राशि – दसवें भाव मे ग्रहण की
स्थिति बन रही है. काम धंधे के लिए शुभ है. सातवां मंगल विवाह
संबंधी काम संपन्न करा सकता है. भाग्य भाव का शुक्र शुभ फल देगा. धन व भाग्य
वृद्धि का संकेत है. राशि स्वामी बुध बलवान होने से आत्मबल दृढ़ रहेगा.
तुला राशि
- भाग्य भाव मे ग्रहण स्थिति भाग्य मे मजबूती
दे रही है. आठवां शुक्र गुप्त रोगों मे तनिक वृद्धि दिखा रहा है. छठा मंगल शुभ है. शत्रुओं का
पराभव, कर्ज
से मुक्ति का संकेत मिलता है. चौथे भाव के गुरु शनि भी शुभ फल देने वाले हैं. वाहन,
भूमि, भवन,
जनता से लाभ.
वृश्चिक राशि – आठवां भाव ग्रहण से
ग्रस्त है. मन तनिक अशांत रहेगा. शत्रु पक्ष हावी रहेगा. पांचवां मंगल शुभ है.
बुद्धि बल से विपत्तियां टल जाएंगी. सातवां
शुक्र राजसी सुखों का संकेत देता है.
धनु राशि – लग्न को चार ग्रह देख रहे
हैं. स्वास्थ्य के प्रति सावधानी जरूरी है. चौथा मंगल माता से लाभ. बताता है. भूमि
भवन व वाहन से भी लाभ. छठा शुक्र रोग व कर्ज से मुक्ति देगा. पत्नी के साथ संबंध
मधुर बनाए रखें. दूसरे भाव के गुरु शनि
अचल संपत्ति से लाभ बताते हैं.
मकर राशि- छठे भाव मे ग्रहण की
स्थिति बनी है. यात्रा का योग है. कोई पुराना रोग
उभर सकता है. तीसरे भाव का मंगल मित्रों भाई व व्यापार से लाभ बताता है.
पांचवां शुक्र संतान की ओर से शुभ समाचार बताता है.
कुंभ राशि- पांचवें भाव मे ग्रहण की
स्थिति बनी है. बुद्धि बल से धन लाभ, पुत्र
से लाभ . चौथा शुक्र शुभ है. सुख देगा. वाहन, भवन.
भूमि व जनता के बीच सम्मान देगा. मन शांत व प्रसन्न रहेगा. बारहवें भाव के गुरु
शनि निकट भविष्य मे यात्रा का योग बनाते
हैं. पराक्रम भाव का मंगल उत्साह और शक्ति
स्फूर्ति प्रदान करेगा.
मीन राशि- चौथे भाव मे ग्रहण की
स्थिति बन रही है. भूमि भवन या वाहन की कोई रुकी हुई डील फाइनल हो सकती है. भवन
भूमि का लाभ हो सकता है. लग्न
मे मंगल चिड़चिड़ापन बताता है.तीसरे भाव का शुक्र भाई बहनों से अच्छे संबंध व्यापार
से लाभ बताता है. लाभ भाव के गुरु शनि किसी बड़े लाभ का इशारा देते हैं.
ग्रहण का प्रभाव अगले ग्रहण तक या
फिर छह माह तक रहता है. अत: 5 जुलाई 2020 तक ही इस सूर्य ग्रहण के परिणाम रहेंगे.
21 जून को हल्के भूकंप भी कहीं कहीं महसूस किये जा सकते हैं.
अत: कुछ
न कुछ तो दृश्य जगत पर ग्रहण का प्रभाव दिखाई पड़ेगा किंतु वैसा भयानक नही जैसा कि
यू ट्यूब वाले दिखाते हैं.
(समाप्त)
Enjoyed reading the article pl keep updating about astrology
जवाब देंहटाएंSir write an article about mantra it’s effect on individuals life also🙏
जवाब देंहटाएंआपने पोस्ट पढ़ी और अपनी प्रतिक्रिया दी, इसके लिए आपका आभारी हूं. आपने मंत्र शक्ति और मानव जीवन पर पड़ने वाले उसके प्रभावों पर पोस्ट लिखने का आदेश दिया है. यदि आप मुझे इस योग्य समझते हैं तो मै अवश्य इस विषय पर पोस्ट लिखूंगा. आपको मुझे थोड़ा समय देना होगा, ताकि कंटेंट विश्वसनीय बन सके.
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग की दिशा और दशा संवारने मे सहायक होगी- इसका मुझी पूरा विश्वास है.