शनिवार, 9 मई 2020

कंप्यूटर और हिंदी (भाग-5)





मशीन लैंग्वेज (Machine language)  निर्देशों (commands) और डेटा (Data)  को सीधे एक कंप्यूटर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU)  द्वारा निष्पादित ( perform) करने की  प्रणाली   है।  मशीन कोड को एक शुरूआती और बोझिलप्रोग्रामिंग भाषा  भी कह सकते हैं।  मशीन लैंगवेज़ दर असल सबसे निचले स्तर की प्रोग्रामिंग लैंगवेज़ मानी जा सकती है।  मशीन कोड बाइटकोड नहीं है।      मशीन कोड मे निर्देश होते हैं, जिनके अनुसार कंप्यूटर काम करता है। ये निर्देश वास्तव में बिट्स की शृंखला से बने होते हैं।
प्रोग्राम(Program) :   कंप्यूटर प्रोग्राम वास्तव में निर्देशों(instructions) की शृंखला है, जो सीधे सीपीयू यानी कंप्यूटर के सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के द्वारा संचालित होती है। सरल प्रोसेसर निर्देशों का पालन एक के बाद एक के क्रम में कराते हैं, जबकि सुपर स्केलर प्रोसेसर  कई निर्देशों को एक साथ ही चालू कर सकते हैं।

असेंबली लैंगवेज़(Assembly languages): मशीन लैंगवेज़ मे हमने देखा था कि निर्देश अंकों के रूप में दिये गए थे। जब ये निर्देश अंकों की बजाय शब्दों में दिये जाएँ तो इसे असेंबली लैंगवेज़ कहेंगे।  असेंबली लैंगवेज़ इस प्रकार अंकीय निर्देशों का  भाषाई निर्देशों में रूपांतरण है।

उदाहरण के लिए मशीन लैंगवेज़ में एक निर्देश है 00000101. इस निर्देश का असेंबली लैंगवेज़ मे रूपांतरण होगा DEC B. अर्थात सीपीयू को निर्देश दिया गया है कि वह B के प्रोसेसर रजिस्टर को कम करे.

 हायर लैंगवेज़ Higher Language) :   विकास क्रम में सबसे पहले मशीन लैंगवेज़ आती है। उसके बाद असेंबली लैंगवेज़, तथा फिर हायर लैंगवेज़ या हाई लेवेल लैंगवेज़ आती हैं। मशीन लैंगवेज़ में निर्देश 0 या 1 के रूप में होते हैं। असेंबली लैंगवेज़ में निर्देश अल्फान्यूमेरिक रूप में, होते हैं। हायर लैंगवेज़ में निर्देश बिल्कुल सहज रूप में होते हैं। जो काम हम कंप्यूटर से लेना चाहते हैं, वह निर्देश उसे दे देते हैं। जैसे कट पेस्ट’, कॉपी अनडू’,’रिडू आदि।   भले ही हायर लैंगवेज़ भी अंतत: कंप्यूटर को मशीन लैंगवेज़ में ही संदेश भेजती हैं, किन्तु कंप्यूटर पर काम करने वाले को हायर लैंगवेज़ से बहुत सुविधा हो जाती है। अब उसे 0 या 1 जैसे बिटों या बाइटों का प्रयोग नहीं करना पड़ता। असेंबली लैंगवेज़ के संकेतो जैसे DEC, INC आदि के झंझट से भी मुक्ति मिल जाती है। वह अपनी बोलचाल की भाषा में ही कंप्यूटर को निर्देश देने लगता है।   भले ही हायर लैंगवेज़ कंप्यूटर की मेमोरी में अधिक स्थान घेरती हैं, किन्तु इनके कारण साधारण पढ़ा लिखा व्यक्ति भी कंप्यूटर पर आसानी से काम करने लगता है। 

हाइ लेवल लैंगवेज़ का एक फायदा यह भी है किये पोर्टेबल होती हैं। अर्थात इन्हें एक प्रकार के प्लेटफार्म से दूसरे प्रकार के प्लेट फार्म तक ले जाया व प्रयोग किया जा सकता है। जबकि लो-लेवल लैंगवेज़ में यह गुण नहीं होता। वे उसी प्लेटफार्म पर इस्तेमाल हो सकती हैं, जिसके लिए उन्हें बनाया गया है।

कंप्यूटर के लिए बनाई गई पहली हाई लेवल लैंगवेज़ थी प्लानकाल्कुल(Plankalkül), तथा इसे बनाने वाले विद्वान थे- कोनार्ड जूज। बहरहाल, यह लैंगवेज़ उनके जीते जी कंप्यूटरों पर इस्तेमाल नहीं की जा सकी। उनका यह काम भी कंप्यूटर के क्षेत्र में हो रही प्रगति से अलग थलग ही रहा। 

भाषाओं का ग्राफिक स्वरूप –ग्राफिक आधारित भाषाएँ :  

अब तक हमने भाषाओं का वह रूप देखा जिसमें या तो अंकों का, या फिर अंकों व शब्दों का, या फिर सरल भाषा का प्रयोग हो रहा था। किन्तु कंप्यूटरों के लिए नई नई भाषाएँ गढ़ने का सिलसिला अब भी रुका नहीं। अब ऐसी भाषाओं की खोज होने लगी, जिसमें चित्रों को प्रदर्शित करने की क्षमता भी हो। ऐसी भाषाओं के निर्माण के लिए मौलिक विचार था- कि चित्रों या फिर आकृतियों को ही अंकों व शब्दों के रूप मे प्रयोग किया जाने लगे। सोर्स कोड में सीधे वृत्त, चतुर्भुज, घूमता हुआ ग्लोब या फिर तीर आदि के चिन्हों को शामिल कर लिया गया। क्योंकि इन आकृतियों के कारण कंप्यूटर की भाषा में दृश्यात्मकता आ गई थी, अत: इन भाषाओं को आम तौर पर दृश्य भाषाएँ (visual languages) कहा जाने लगा।  दूसरे शब्दों में इन्हे ग्राफिक भाषाएँ भी कहा जाने लगा।

C, C++,जावा आदि अनेक भाषाओं को ग्राफिक भाषा के श्रेणी मे रखा गया है। इन भाषाओं से भी कंप्यूटर के क्षेत्र में नई क्रांति हुई। नए नए गेम बनने लगे। एनीमेशन फिल्में बनने लगीं। आउटडोर शूटिंग में जो दृश्य लाखों करोड़ों की लागत से फिल्माए जाते थे, वही अब लैब में बैठ कर इन भाषाओं से बने साफ्टवेयरों द्वारा चुटकियों में, तथा बगैर कुछ खर्च किए फिल्माए जाने लगे।

सॉफ्टवेयर (Softwares) :   

           (क)  परिचय
           (ख)  सॉफ्टवेयरों का क्रमिक विकास.
           (ग)  सॉफ्टवेयरों का वर्गीकरण.

इससे पहले कि हम सॉफ्टवेयर के बारे मे कुछ कहें- यह बताना जरूरी होगा कि कंप्यूटर के मुख्यत: दो भाग होते हैं:
                        1. हार्डवेयर(Hardware)
                        2. सॉफ्टवेयर (Software).

            कंप्यूटर का मशीनी भाग जो हमें दिखाई देता है, हार्डवेयर कहलाता है. इसके विपरीत कंप्यूटर का वह भाग, जो आंखों से नही दीखता, किंतु जिसके बिना कंप्यूटर निष्क्रिय हो जाता है- सॉफ्टवेयर कहलाता है. आप कह सकते हैं कि कंप्यूटर को दिये जाने वाले कूटीकृत निर्देश ही सॉफ्टवेयर कहलाते हैं. ये निर्देश प्राय: कंप्यूटर की मेमोरी में संचित रहते हैं. दरअसल कंप्यूटर को दिये जाने वाले निर्देश कमांड कहलाते हैं. इन कमांडों का तार्किक व विधिवत समूह प्रोग्राम कहलाता है. तथा इन प्रोग्रामों को जोड़ कर बनाई गई शृंखला ही सॉफ्टवेयर कहलाती है.  सॉफ्टवेयरों को मुख्यत: दो श्रेणियों में बांट सकते है :

1. ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर (operating Software). या सिस्टम सोफ्टवेयर
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर )Application Software or Apps) या एप (App)
ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर/सिस्टम सॉफ्टवेयर्स (OS) :

कंप्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणालियों को संचालित करने वाले सॉफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर कहलाते हैं. ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर्स  सही मायनों मे मशीन और उसे इस्तेमाल करने वाले आदमी के बीच की कड़ी हैं. कंप्यूटर के भीतर जो भी गतिविधियां चलती हैं उनका संचालन ओएस से ही खुद ब खुद होता रहता है. डिस्क मे कितना स्पेस (खाली जगह) बची है या बैटरी कितनी रह गई है या फिर टाइम व डेट क्या हैं- ऐसी कई जानकारियां ओएस खुद ही देता रहता है. कंप्यूटर मे जो अप्लीकेशन सॉफ्ट वेयर्स लोड किये जाने हैं उन्हे कैसे काम करना होगा, ये सब भी ओएस से ही तय होता है.  कुछ ओएस इस प्रकार हैं :

·         विंडो (माइक्रोसॉफ्ट) Windows OS.
·         मैकिंटॉश (एप्पल) Mac OS.
·         लाइनक्स (ओपन सोर्स) Linux OS.
·         एंड्रॉयड (मोबाइल के लिए) Android OS.
·         एमएसडॉस MS-DOS OS.
·         सोलारिस (Sun Solaris)OS  आदि 

इसी प्रकार नई नई मशीनों के लिए उनकी जरूरतों के हिसाब से नए ऑपरेटिंग सिस्टम्स भी बनाए जा सकते  हैं.

ऑपरेटिंग सॉफ्ट्वेयर्स कई तरह के हो सकते हैं. यदि एक व्यक्ति को ही काम करना है तो उसके लिए सिंगल यूज़र ओएस लेना होगा. यदि एक ही ओएस से कई सिस्टम्स चलाने हों तो मल्टी यूज़र ओएस लेना होगा.

इसी प्रकार अगर एक ही काम के लिए इस्तेमाल करना है तो सिंगल टास्किंग ओएस चलेगा जबकि एक साथ कई काम कंप्यूटर पर करंने हैं तो मल्टी टास्किंग ओएस चलेगा.
इसी प्रकार भाषाओं के आधार पर भी ओएस का वर्गीकरण किया जा सकता है जैसे सिंगल लैंग्वेज ओएस मे सिर्फ एक ही भाषा का प्रयोग हो सकता है 

बहुभाषी ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर (Multi lingual OS) :
    वे सॉफ्टवेयर जिनकी मदद से अंग्रेज़ी के अलावा अन्य भाषाओं में भी काम किया जा सके- बहु भाषी ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर कहलाते हैं. जैसे :

विंडो एक्सपी, विंडोविस्ता, विंडो 2007 (माइक्रोसॉफ्ट )
मैकिंटॉश (हिन्दी लैंग्वेज किट अलग से खरीदना पड़ता है.) (एप्पल)
लाइनक्स (ओपन सोर्स) कई भारतीय लिपियों को सपोर्ट करता है.
भारत ऑपरेटिंग सिस्टम सॉल्यूशन (BOSS)(सीडैक) आदि

   हम देखते हैं कि लगभग सभी ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर आजकल बहुभाषी हो गए हैं.

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) या एप (App) :
किसी विशेष उद्देश्य के लिए बनाए गए सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहलाते हैं जैसे:

1.     भूगर्भीय आंकड़ों के संसाधन के लिए,
2.     मौसम की भविष्यवाणी के लिए,
3.    भाषा सीखने के लिए,
4.    विभिन्न उद्योगों के प्रचालन में.  इत्यादि

भाषा सीखने के लिए भी आज सैकड़ों एप बाज़ार मे उपलब्ध हैं. लेकिन जहां तक हिंदी भाषा का संबंध है इसमे भी भाषा सीखने से लेकर अनुवाद करने, पर्यायवाची जानने (शब्द्कोष), शुद्ध वर्तनी जानने , शुद्ध उच्चारण जानने आदि के लिए सरकारी तथा निजी क्षेत्रों मे अनेक एप उपलब्ध हैं.  हिन्दी भाषा के कुछ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इस प्रकार हैं :

निर्माता
सॉफ्टवेयर का नाम
क्र.सं.
सीडैक, एनआइसी,राजभाषा विभाग
द्वारा मिल कर
मंत्र
1
वाचांतर
2
श्रुतलेखन
3
ई-महाशब्दकोष
4
लीला राजभाषा
5
प्रवाचक
6
परिवर्तन
7
मोंटेज
आवागमन
8
निजी संस्थाएं
अक्षरविविधा
9
अनुसारक
10
 ‘वी’ सॉफ्ट सर्विसेज़(प्रा) लि.
एपीएस 2000++
11
 साइबरस्केप सर्विसेज़, मुंबई
आकृति विस्तार
12
माइक्रोसॉफ्ट, यूएसए
इंडिक हिन्दी
13

हिन्दी ट्रेडीशनल
14

हिन्दी देवनागरी
15


1.    मंत्र(MANTRA):
मंत्र(ManTra) अंग्रेजी के शब्दों का संक्षिप्त रूप है. इसका अर्थ है- Machine assisted Translation, अर्थात मशीन की सहायता से किया जाने वाला अनुवाद. यह सॉफ्ट्वेयर सीडैक द्वारा राजभाषा विभाग भारत सरकार के लिए विकसित किया गया है. यह सॉफ्टवेयर सीडैक, पुणे तथा राष्ट्रीय सूचनाकेन्द्र से नि:शुल्क मंगाया जा सकता है. पता है darbari@cdac.in
2.    वाचांतर :
यह सॉफ्टवेयर भी सीडैक द्वारा राजभाषा विभाग के लिए विकसित किया गया है. इसके द्वारा अंग्रेज़ी में बोले गए पाठ को सीधे सीधे हिन्दी में सॉफ्टकॉपी में बदला जा सकता है. इसकी मुख्य समस्या है- वक्ता का उच्चारण. उच्चारण सही न होने से कंप्यूटर गलत लिख सकता है. इसलिए कंप्यूटर को उपभोक्ता की उच्चारण शैली का अभ्यस्त होने के बाद समस्या काफी कम हो जाती है.  यद्यपि यह सॉफ्टवेयर काफी अच्छा काम कर रहा है, फिर भी अभी इस पर कुछ और परीक्षण चल रहे हैं. यह नि:शुल्क नहीं है, किंतु साधारण कीमत पर इसे राष्ट्रीयसूचना केन्द्र से खरीदा जा सकता है.
3.    श्रुतलेखन :
इस सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर मुंह से बोली हुई हिन्दी ध्वनियों को उच्चारण के अनुसार हिन्दी पाठ में बदल देता है. यहां भी त्रुटियों की थोड़ी बहुत संभावना होती है. जब कंप्यूटर वक्ता के उच्चारण का अभ्यस्त हो जाता है, तो त्रुटि नहीं होती. भले ही इस सॉफ्टवेयर का भी परीक्षण हो चुका है, किंतु अभी भी इसमें थोड़ा बहुत काम होना बाकी है. जैसे किसी अक्षर या शब्द के  सभी संभावित उच्चारण इसमें फीड किये जाने हैं, ताकि सही अक्षर या शब्द  चुनने में कंप्यूटर गलती न कर सके.     
4.    ई-महाशब्दकोष :
यह इलेक्ट्रॉनिक शब्दकोष सीडैक तथा राजभाषा विभाग के सहयोग से बनाया गया है. इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसमें शब्दों का केवल अर्थ ही नहीं बताया जाता, बल्कि उसका उच्चारण भी ध्वनि के द्वारा सुनाया जाता है. इसमें अर्थ के साथ साथ शब्द का वाक्य प्रयोग भी दिया जाता है.


लीला राजभाषा (LILA):  लीला अंग्रेजी के शब्दों का संक्षिप्त रूप है. इसका पूरा नाम है Learning Indian Languages Through Artificial Intelligence. अर्थात कृत्रिम बुद्धि द्वारा भारतीय भाषाएं सीखना. यह प्रोग्राम सीडैक ने राजभाषा विभाग के लिए विकसित किया है, ताकि हिन्दी सीखने वाले कार्मिक कक्षाओं में प्रशिक्षण लेने के स्थान पर कंप्यूटर पर प्रशिक्षण ले सकें.  इसके तीन स्तर हैं:
         लीला हिन्दी प्रबोध : हिन्दी के प्राथमिक स्तर के ज्ञान हेतु.
         लीला हिन्दी प्रवीण : हिन्दी के आठवीं स्तर के ज्ञान हेतु.
         लीला हिन्दी प्राज्ञ :  हिन्दी के दसवीं कक्षा के स्तर के ज्ञान हेतु.
         कंप्यूटर में इन तीनों परीक्षाओं का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम उपलब्ध है.    


5.प्रवाचक : यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर पर उपलब्ध हिन्दी पाठ का सही उच्चारण जानने के उद्देश्य से बनाया गया है. यह सॉफ्टवेयर भी सी-डैक के सहयोग से विकसित किया गया है. इसकी अधिक जानकारी के लिए सी-डैक अथवा राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (NIC)  से प्राप्त कर सकते हैं.
6.परिवर्तन 2.0 :
यह सॉफ्टवेयर नॉन यूनीकोड फोंट्स को यूनीकोड फोंट्स में बदलने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह राष्ट्रीय सूचना केन्द्र के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है.
7.आवागमन (डिस्पैच सॉफ्टवेयर) :
यह सॉफ्टवेयर डायरी डिस्पैच के लिए प्रयोग में लाया जाता है. यह सॉफ्टवेयर मोंटेज (Montage) नामक कंपनी ने विकसित किया है. इसकी सहायता से कार्यालय में डाक के आने जाने का ब्यौरा हिन्दी में रखा जा सकता है. इसके अलावा मोंटेज ने ये सॉफ्ट्वेयर भी विकसित किये हैं:
1.    लीव ट्रेकिंग सॉफ्टवेयर (Leave Tracking software).
2.    वर्ड ऑफ द डे सॉफ्टवेयर (Word of the day software).
3.    रोस्टर मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर (Roster Management  software).
4.    लाइब्रेरी मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर(Library Management Software).
5.    सॉफ्टवेयर फॉर ई-मेल इन इंडियन लैंग्वेजेस(Software for e-mail in Indian Languages).
6.    सॉफ्टवेयर फॉर चैटिंग इन इंडियन लैंग्वेजेस (Software for chatting in Indian Languages).                       
 अधिक जानकारी इस वेब साइट से मिल सकती है-www.montagecommunique.com.
5.    एपीएएस 2000++ : हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाएं सीखने के लिए यह एक अच्छा सॉफ्टवेयर  है. जब अंग्रेजी में काम करना हो तो इसे अंग्रेजी में टॉगल किया जा सकता है. हिन्दी में भी यह दो विकल्प देता है- एक हिन्दी व दूसरा हिन्दी फोनेटिक. इसमें निम्नलिखित कीबोर्ड उपलब्ध हैं:
                     1.एंग्लो-नागरी
                      2. अक्षर
                      3. इंस्क्रिप्ट
                      4. देव टाइप
                      5. इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर
                      6. फेसिट
                      7. गोदरेज
                       8. आइटीआर्_देव.
 9. आइटीआर फोनोग्राफिक
10. मॉडुलर
11. प्रकाशक
                      12. रेमिंगटन
 13. शब्दरत्न
 14. टाइपराइटर
                       15 कस्टम कीबोर्ड 
इन सभी की बोर्ड्स के लेआउट्स भी दिये गए हैं. इस सॉफ्टवेयर में फोंट का रूपांतरण भी किया जा सकता है. इसमें छोटी सी शब्दावली भी है- जिससे हम हिन्दी शब्द के अंग्रेजी अर्थ या अंग्रेजी शब्द के हिन्दी अर्थ चार-पांच विकल्पों सहित जान सकते हैं. इसमें शब्दांकन सुविधा भी है, जिसके द्वारा ट्रांसलेशन तथा ट्रांसलिटरेशन –दोनो किये जा सकते हैं. चित्रगुप्त के द्वारा हिन्दी मे लिखने की सुविधा है, चाहे हमें किसी कीबोर्ड का ज्ञान हो या न हो. इस सॉफ्टवेयर द्वारा निम्न लिखित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर्स मे हिन्दी मे काम करना संभव है:
  1. एक्सेल 2000
  2.  क्वार्क एक्सप्रेस
  3. वर्ड पैड
  4. कोरल 5 तथा ऊपर
  5. कोरल फोटोप्वाइंट
  6. एमएस वर्ड 2000
  7. एमएस एक्सेस 2000
  8. एमएस पावर प्वाइंट 2000
  9. पेजमेकर 6.5
  10. अडोब फोटोशॉप
  11. लोटस इनपुट सूट
  12. अन्य
इस पैकेज मे यूनीकोड फोंट्स मे काम करने की सुविधा नहीं है.
9.आकृति विस्तार :
साइबरस्केप मल्टीमीडिया नामक कंपनी द्वारा विकसित यह एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर यूनीकोड फोंट में आउटपुट देता है. इस कंपनी ने आकृति नामक हिन्दी का यूनीकोड फोंट भी विकसित किया है. इसके अलावा ‘इज़ी मेलर’ नाम से हिन्दी ई-मेल के लिए भी सॉफ्टवेयर विकसित किया है.

10. हिन्दी इंडिक आइएमई(Hindi indic IME):

आइएमई का अर्थ है- ‘इनपुट मैथड एडिटर’. यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर कीबोर्ड को मनचाहे कीबोर्ड में मैप कर देता है. इसके साथ ही यह संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गई अन्य  भारतीय भाषाएं सीखने मे भी सहायक है.
इंडिक तथा लिपि आदि नवीनतम हिंदी व प्रादेशिक भाषाओं के संसकरणों की जानकारी के लिए माइक्रोसॉफ्टकीवेबसाइट  https://www.microsoft.com/en-in/bhashaindia/  पर जाकर विस्तृत जानकारी पा सकते हैं .
  
11. हिंदी ट्रेडीशनल :  यह भी एक छोटा सा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जिसका उद्देश्य कंप्यूटर से हिन्दी मे काम करना है.
 
 12. हिन्दी देवनागरी.  http://kevincarmody.com/software/devanagari.html

अब तो एंड्रायड सॉफ़्ट्वेयर पर आधारित मोबाइल हिंदी एप्स भी बाजार मे आ गए हैं. इनकी मदद से मोबाइल पर भी हिंदी मे संदेश भेजना आसान हो गया है.



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