दावत शहर से दूर मंत्री जी के फार्म हाऊस पर चल रही थी । राजधानी के बड़े नेता और कुछ पालतू बुद्धिजीवी दावत में शरीक थे ।
एक हाथ में शराब का गिलास लिये और
दूसरे हाथ में चिकन की टांग भकोसते हुए वयोवृद्ध मंत्री ‘पाठक’ जी बोले – नहीं
बाल्मीकि जी । ऐसा नहीं होना चाहिए । भला गांधी जी की आत्मा को कितना कष्ट होगा
? सरकारी कालेजों में तो रिजर्वेशन हमने पचास
प्रतिशत से ऊपर पहुंचा दिया, मगर अभी भी हम संतुष्ट नहीं हैं -------‘
फिर शराब का गिलास खाली करके बोले, "सोचो बाल्मीकि वह दिन कितना महान होगा जब हर कालेज, हर कारखाने में सिर्फ
हमारे दलित भाई होंगे. सुप्रीम कोर्ट की एक न चलेगी । हम नेता लोगों की
इच्छा ही कानून बनेगी ।"
अपनी खिजाब से रंगी दाढ़ी खुजलाते,
बंद गले का काला कोट – पैंट पहने बाल्मीकि बकरों की भुनी कलेजियों का स्वाद ले
रहे थे । एक साँस मे पैग खाली कर बोले – "पता नहीं इस सुप्रीम कोर्ट को हम
नीची जात वालों से इतनी नफरत क्यों है । जब देखो हमारी नाक में नकेल डालने की
जुगत में रहता है । मेरी राय में तो हमें इसी सेशन में रिजर्वेशन बिल पास कराना
चाहिए । ताकि हर प्राइवेट मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेज में, हर प्राइवेट कंपनी में पचास प्रतिशत सीटें दलितों क लिए रिजर्व रहें । कैंडीडेट नहीं मिलते तो ये सीटें खाली छोड़ी
जायें । बाबा साहेब को और बापू को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।"
पाठक जी मुस्कराये । सफेद खादी टोपी
पर हाथ फेरा और भेड़ की भुनी बोटियां खात हुए बोले – कौड़ी तो दूर की लाये हो दोस्त
। सुप्रीम कोर्ट को सबक सिखाने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता ।
अन्य पिछड़ी जातियों के मसीहा कलंक यादव भी पाठक जी के करीब आ गये ।
भैंस के दूध में शराब मिलाकर उन्होंने गिलास भरा और एक ही सांस में खाली कर दिया
। फिर मच्छी के पकौड़े खाते हुए बोले – याद है पंडित जी, पांचेक साल पहले का वो
वाकया । मैंने अपने सूबे में जीरो नंबर लाने वाले दलित के बेटे को मेडिकल में
दाखिला दिलाया था । सौ में से तिरानवे नंबर लानेवाले मिश्रा के लौंडे का पता साफ
कराया । कितना चिल्लाया था हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट । पर मैंने भी सामाजिक न्याय
करके दिखा दिया ।
फिर थोड़ा रुक कर बोले – आप लोग
रिजर्वेशन का प्रस्ताव लायें । मेरी पार्टी पूरा सपोर्ट करेगी ।
पाठक जी बोले – भई यादव तुम्हारा वो
डाक्टर आजकल राजधानी के अस्पताल में सर्जन है । कभी आपरेशन के दौरान पेट में कैंची
भूल जाता है तो कभी नेपकिन । अब तक पचास – साठ आपरेशन किये होंगे । एक भी मरीज
नहीं बचा । उसे जरा समझा देना । प्रेस वालों से बना कर रखे । ये बातें पब्लिक तक न
पहुच सकें । ये हमारी सेहत के लिए भी जरुरी है -----‘
अभी पाठक जी कुछ और कहते कि बाल्मीकि
जोर – जोर से कहने लगे – कलंक भई याद है जब हमने मंडल आयोग लागू कराने की खुशी में
ऐसी ही दावत दी थी । अचानक मेरा पीएस भागा
हुआ आया और बोला- सर कालेज की यूनियन के प्रेजीडेंट ने रिजर्वेशन पालिसी के खिलाफ
आत्मदाह कर लिया है । देश भर से करीब एक दर्जन लोगों की मौत की खबर अब तक आ चुकी
है । स्थिति बिगड़ती जा रही है ।
इस पर किस बुरी तरह सबके सामने फटकार
लगायी थी मैंने उस सेक्रेटरी लेवल के आईएएस अफसर को । - सारा मजा किरकिरा कर दिया
बे बाम्हन के बच्चे । अरे कम से कम पचास के मरने की खबर तो लाता । दूर हट जा
मेरी नजरों के सामने से ।
अभी बाल्मीकि की बात खत्म नहीं हुई
थी कि बीफ के पकौडों की प्लेट और पूरी बोतल हाथ में लिये थामस भी वहां आ पहुंचा
। वह क्रिश्चियन माइनारिटी का राज्य सभा में नामजद मेंबर था ।
सबकी बात काटकर वह बोला – बैकवार्ड
क्रिश्चियन के लिए भी कालेजों और प्राइवेट नौकरियों में कम से कम टेन परसेंट सीट होना मांगता । ओरिसा
में लो कास्ट हिंदू बांडेड लेबर था । भूखा, प्यासा नंगा था । हमारा मिश्नरी
उनको कन्वर्ट करके इंसान बनाया, एजुकेशन दिया, मकान बनाकर दिया, मगर ये हिंदू
पालीटीशियंस स्टेंस का मर्डर करा दिया । किस हिंदू को उनका फिक्र हुआ । बातें तो
बड़ी – बड़ी करता है, ग्राऊंड वर्क क्या किया । कोई पूछेगा हिंदुत्व के इन
कांट्रैक्टरों से । सरदार खूंटा सिंह बगल में मुर्ग पनीर और लच्छे – पराठों पर
पिले हुए थे । वहीं से बहस में शरीक हुए - ओये हमारे यहां भी दरखाण होते हैं
रामगढ़िये होते हैं जट्टे और भाटड़े होते हैं । उन्हें भी फिफ्टी परसेंट सीट मिलणी
चाहिए । जैसा कत्लेआम एटीफोर में हुआ वैसा तो जलियांवाला बाग में में डायर प्राह
जी ने भी नईं कित्ता सीगा । बस रात – दिन इक्कोई राग – बेअंत ते सतवंत । होर कुछ
काम निहैगा ।
कहते हुए खूंटा सिंह जी ने गिलास खाली करके नीचे पटका
और भरा गिलास उठा लिया । नरम गोश्त से बने हैदराबादी कबाब खाते हुए रहमुद्दीन से
भी चुप न रहा गया । बोले – क्या मुसलमानों में दलित नहीं होते । ये रांगड़, तेली,
कसाई, जुलाहे, नाई, अंसारी बेचारे दलित नहीं तो क्या है । इन्हें भी प्राइवेट
नौकरियों और प्राइवेट कालेजों में कम से कम बीस फीसदी जगह मिलनी चाहिए । ये
सुप्रीम कोर्ट कौन होता है । हमारे मौलवियों काजियों के फैसलों पर नुक्ताचीनी
करने वाला । ये हमारा पर्सनल ला बोर्ड का मामला है । इमराना का फैसला जब काजी ने
कर दिया तो कोर्ट चुप रहे । किसी के दस – बारह बच्चे हों, बीस हों, पांच बीवियां
हों – इससे कोर्ट को क्या लेना – देना ।
अल्ला ताला पाल रहा है सबको –रात गहराती जा रही थी । खाना – पीना करीब – करीब हो
चुका था । तब मंत्री जी बोले – दोस्तो, आज की दावत यों तो रोजा इफ्तार की दावत थी
। पर एक वजह ये भी भी थी कि पंद्रह सौ करोड़ के घोटाले में सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा
दिखाते हुए मैं बरी हो गया । दूसरे कल जो मसौदा प्राइवेट रिजर्वेशन का रखा जाने
वाला है । उसे हमारी पार्टी सपोर्ट करेगी । इसी हफ्ते ये बिल राष्ट्रपति के दस्तखत
के बाद राज्यसभा से भी पास कराना है । फिर कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट को आदेश
देना है कि फौरन लागू करो । इस पर खूब तालियां बजीं । लेकिन एक डर सभी को सता रहा
था – क्या प्रेस और मीडिया इस मुहिम में हमारा साथ देंगे । दावत में मौजूद नशे
में चूर बुद्धिजीवी बोले – ‘इसकी जिम्मेदारी हम पर छोड़ दीजिये ।‘
समाप्त
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