गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

मोम की प्रतिमा

        

पूजाघरों में मोम की प्रतिमा होती नहीं  अक्सर ।
वो पत्थर की होती है. 
भले ही मोम की प्रतिमा बड़ी ही खूबसूरत क्यों न हो ,
भले ही मोह लेती है,
उतर जाती दिलों में,    
देखने भी बड़ी जीवंत लगती  है मगर,  
 जब भी किसी ने  कामना की मोम के बुत से
दिये की आंच से गल कर ,बदल कर
ढल गई  वह  मोम की प्रतिमा भयानक से  किसी अनजान चेहरे में -
जिसे पहचान पाना था बहुत मुश्किल  ।
जबकि पत्थर से बनी प्रतिमा पिघलती ही नहीं  ।
शक्ल सूरत भी नहीं उसकी बदलती  ।
 आज भी है ठीक वैसी  जिस तरह कल थी
और मुमकिन है कि कल भी ठीक ऐसी ही रहेगी ।

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