किसी नें बादलों में प्यार के प्रतिमान भी
देखे ।
किसी को जिस्म भूखे और प्यासे भी नज़र आए ॥
किसी को बादलों में ताजमहलों के हुए दीदार
।
किसी को रेत के
टूटे घरौंदे भी नज़र आए ॥
कहीं देखे गए ये प्यार का पैगाम
पहुंचाते ।
कहीं ये मौत का फरमान देते भी नजर आए ॥
ये बेलों पर इनायत बन के भी बरसा किये ।
दरख्तों पर यही बिजली गिराते भी नज़र आए ॥
कभी टहला किये ये पर्वतों
की चोटियों पर ।
कभी नीची ढलानों
पर यही लेटे नज़र आए ॥
इन्हें शूलों से भी हमने उलझते खूब देखा ।
कभी फूलों को ये आगोश में लेते नज़र आए ॥
भरी तपती दुपहरी की बरसती आग में ।
ये ठंडी छांव की सौगात देते भी नजर आए ॥
हमारा ख्याल था बादल सभी को प्यार करते
हैं ।
मगर ये भी हमारे हाल पर हंसते नजर आए ॥
सुना है लोग इनको दूध सा उजला बताते हैं ।
हमें इन पर किसी
के खून के छींटे नजर आए ॥
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