कुछ हिंदी शब्दों की उत्पत्ति कैसे हुई




           प्रत्येक भाषा के हर शब्द की उत्पत्ति का कुछ न कुछ इतिहास अवश्य होता है. हिंदी मे भी अनेक भाषाओं से कुछ शब्द आए हैं. अरबी, तुर्की उर्दू, फारसी, पुर्तगीज़, फ्रेंच, अंग्रेजी भाषाओं के शब्दों की हिंदी मे काफी संख्या है लेकिन सबसे अधिक शब्द संस्कृत से आए हैं.
यहां हम संस्कृत से आए कुछ हिंदी शब्दों की बात करेंगे.
क्रम संख्या
शब्द
उत्पत्ति कैसे  हुई

01
कुशल
कुलपति के लिए जो शिष्य कुुुशा  लेकर सबसे पहले लौट आता था, वह कुशल कहलाता था. समय के साथ इस शब्द का अर्थ बदलता गया .
आज इसका अर्थ है वह व्यक्ति जो किसी भी काम को सबसे अच्छी तरह और सबसे पहले करे.
02
कुशाग्र
वह शिष्य जिसकी बुद्धि  कुशा नामक घास के अग्रभाग की तरह  तीक्ष्ण होती थी, वह कुशाग्र कहलाता था.
आज उस हर विद्यार्थी को कुशाग्र कहते हैं जो पढ़ने  मे होशियार होता है.  
03
प्रवीण
पुराने भारतीय समाज मे भी आज की तरह  संगीत का बड़ा महत्व था. वह व्यक्ति जो बहुत अच्छी वीणा बजाना जानता था, उसे प्रवीण कहते थे.
आज किसी भी कला मे महारत रखने वाले को प्रवीण कहा जाता है.
04
यायावर
प्राचीन भारत मे साधुओं का एक संप्रदाय  ऐसा भी था जो कभी एक जगह पर नहीं टिकता था. उन्हें यायावर कहते थे.
आज वह हर व्यक्ति यायावर कहलाता है जो काफी घूमता फिरता हो.
05
पाथेय
पहले सफर पर निकलते समय लोग एक दो वक्त का खाना ले कर चलते थे.  इस भोजन को पाथेय कहते थे.
आज वह अन्न पाथेय कहलाता है जो  छोटी  यात्रा के समय लोग साथ ले कर चलते हैं.
06
क्षत्रिय
किसी क्षेत्र की रक्षा करने के कारण कोई व्यक्ति क्षत्रिय कहलाता था.  
आज उन क्षत्रियों के वंशज भी क्षत्रिय कहलाते हैं.
07
मृग
पहले उन सभी वन्य पशुओं को मृग कहा जाता था जिनके चार पैर होते थे.
बाद मे यह शब्द केवल हिरनों के लिए प्रयुक्त होने लगा.
08
मानव
आरंभ मे मनु के वंशजों को मानव कहते थे .
बाद मे विश्व भर मे फैले इंसानों को मानव कहा जाने लगा. 
09
धान्य
आरंभ मे धान से मिलने वाले अनाज अर्थात चावलों को धान्य कहा जाता था.
बाद मे सभी तरह के अनाजों को धान्य कहने लगे
10
भिक्षार्थी    (भिखारी)     
पहले संन्यास आश्रम मे दीक्षित साधकों को  पांच गृहस्थों से एक एक मुट्ठी अनाज मांगने की आज्ञा थी. उन संन्यासियों को भिक्षार्थी कहते थे. 
आज उन सबको भिखारी कहा जाता है जो  मांग कर जीवन यापन करते हैं .
11
दीक्षित
जो व्यक्ति किसी गुरु से दीक्षा ले चुका होता, वह दीक्षित कहलाता था.
आज यह जाति सूचक शब्द है. अर्थात एक वृहद मानव समूह ही  दीक्षित कहलाता है .
12
जोशी
ज्योतिष का अच्छा विद्वान  ज्योतिषी कहलाता था . जन सामान्य की भाषा मे उसे 
जोशी कहते थे.
आज जोशी जाति सूचक शब्द है. ज्योतिष के ज्ञान से इसका कोई लेना देना नहीं है.  


हिंदी मे कुछ ऐसे शब्द भी संस्कृत से आए हैं जो व्यक्ति के पेशे से जुड़े थे . बाद मे इन श्ब्दों को पूरे मानव समूह के लिए प्रयोग किया जाने लगा जो उन पेशों मे थे. उदाहरण के लिए नीचे की तालिका देख सकते हैं-
क्रम संख्या
प्राचीन शब्द
वर्तमान शब्द
पेशा
01
स्वर्ण कार
सुनार
आभूषण बनाना
02
कुम्भकार
कुम्हार
मिट्टी के बर्तन बनाना
03
चर्मकार
चमार
चमड़े की चीजें बनाना
04
लौहकार
लोहार
लोहे के औजार बनाना
05
भांडागारी
भंडारी
जो राजा के भंडार की व्यवस्था रखता था.
06
ताम्रकार
तमोटा या टम्टा
ताम्र की वस्तुएं बनाने वाला
07
मालाकार
मालाकार
पुष्प मालाएं बनाने वाला
08
चित्रकार
चित्रकार, चितेरा
चित्र बनाने वाला
09
गोस्वामी
गुसाईं
जो राजा की गायों की व्यवस्था देखता था.
10
अश्वपाल
असवाल
जो राजा की घुड़साल की व्यवस्था देखता था. 
11
वाद्यी
बाद्दी
जो मांगलिक अवसरों पर वाद्य बजाते थे.
12
चतुर्वेदी
चौबे
चारों वेदों का ज्ञान देने  वाले पंडित
13
त्रिवेदी
तिवारी, त्रिपाठी
तीन वेदों का ज्ञान देने वाले पंडित
14
द्विवेदी
दुबे
दो वेदों के प्रकांड
15
वेदी
बेदी
एक वेद का ज्ञान देने वाले.
16
रजक
रंगरेज़
कपड़े धोने तथा रंगने वाले
17
गब्दिका
गद्दी
हिमाचल प्रदेश की एक जन जाति
18
वर्णु वाल
बन्नूवाल
बन्नू प्रदेश , पाकिस्तान की एक जाति
19
तंतुवाय
तांतिया (टांटिया)
कपड़ा बुनने वाले
20
गोपाल
ग्वाल
गाय की सेवा करने वाले

प्रदेश के आधार पर बने कुछ शब्द :

क्रम संख्या
प्रदेश का नाम
निवासी कहलाए (जातियां)
01
मालव
मालवीय
02
गौड़
गौड़
03
बुंदेल खंड
बुंदेले  
04
राठ
राठी
05
कान्यकुब्ज (कन्नौज)
कनौजिये
06
मालगुड़ी
मालगुड़ी
07
कर्णाट
कर्नाटक
08
भोट
भोटिये
09
आप्रीत
अफरीदी
10
खन्ना (पंजाब)
खन्ना
11
जायस
जायसवाल
12
यौधेय
जोहिये (पंजाब की एक जाति)
13
वृष्णि (प्रदेश)
बिश्नोई
14
बकराल
बकरवाल
15
भिल्ल
भील

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डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.
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